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आगरा में बाढ़ का अलर्ट: 45 साल में पहली बार ताजमहल की दीवारों तक पहुंचा यमुना का जलस्तर, 1978 की बाढ़ की आशंका फिर गहराई

आगरा: उत्तर भारत में हो रही भारी बारिश और हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी के कारण यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इससे आगरा में ताजमहल के आसपास बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। बीते 45 वर्षों में पहली बार यमुना का पानी ऐतिहासिक स्मारक के इतने करीब पहुंचा है।

ताजमहल की दीवारों तक पहुंचा जल, CISF कैंप पीछे हटाए
यमुना का जलस्तर 495.5 फीट के करीब पहुंच गया है, जो 2023 की बाढ़ जैसी स्थिति के समान है। हाई फ्लड लेवल 508 फीट तय है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए CISF ने ताजमहल के पीछे से अपना सुरक्षा शिविर हटा लिया है, और बाढ़ संभावित क्षेत्रों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

गांवों और धार्मिक स्थलों में अलर्ट
आगरा प्रशासन ने आसपास के करीब 40 गांवों में बाढ़ का अलर्ट जारी किया है। यमुना का पानी खेतों और सड़कों में घुस चुका है। दूसरी ओर, बटेश्वर तीर्थ स्थल पर घाट की सीढ़ियां डूबने के कारण स्नान पर रोक लगा दी गई है।

1978 की बाढ़ की यादें फिर हुईं ताजा
स्थानीय लोग 1978 की भीषण बाढ़ को याद कर रहे हैं, जब यमुना का जलस्तर 508 फीट तक पहुंच गया था और ताजमहल के गेट तक पानी आ गया था। पुरातत्व विभाग ने बताया कि ताजमहल को ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है, जिससे संरचना को तत्काल कोई खतरा नहीं है, लेकिन स्थिति पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है।

यातायात बाधित, नदी किनारे डूबे घाट
यमुना किनारे रोड पर जलभराव से यातायात प्रभावित हुआ है। कई घाट पानी में डूब चुके हैं। प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन टीमें संवेदनशील इलाकों में राहत और निगरानी कार्य में जुटी हैं।

मथुरा में भी बाढ़ के आसार
मथुरा जिले में गोकुल बैराज के 22 गेट खोल दिए गए हैं। लगभग 82,000 क्यूसेक पानी आगरा की ओर छोड़ा जा रहा है। विश्राम घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुका है, जो श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ा एक ऐतिहासिक स्थल है।

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