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27 राज्यों में पेयजल में फ्लोराइड-आर्सेनिक काफी ज्यादा

देहरदून (गौरव ममगाईं)। जलवायु परिवर्तन के चलते पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग व कई अन्य गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है। अब भारत में भूगर्भ से मिलने वाले जल में भी गुणवत्ता की बड़ी कमी सामने आई है। सरकारी सर्वे में भारत में भूगर्भ से मिलने वाले जल में फ्लोराइड व आर्सेनिक काफी अधिक मात्रा में पाया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में 469 जिलों में भूगर्भीय जल फ्लोराइड व 230 जिले आर्सेनिक से प्रभावित हैं। इसमें उत्तर प्रदेश के 75 में से 43 जिले फ्लोराइड से प्रभावित हैं। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) को सौंपा है, जिस पर एनजीटी ने संबंधित 27 राज्यों के मुख्य सचिव को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये हैं।

फ्लोराइड के क्या हैं नुकसान ?

दरअसल, भारत में भूगर्भ के जल में फ्लोराइड की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर को सामान्य माना जाता है। यह जल पीने योग्य माना जाता है। लेकिन, हाल ही में हुए सरकारी सर्वे के अनुसार, भारत में भूगर्भ से प्राप्त जल में फ्लोराइड की 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर पायी गई है, जो कि काफी अधिक है। पेयजल में ज्यादा फ्लोराइड होने से दांत व हड्डियों पर असर पड़ता है। दांतों में पीलापन देखने को मिलता है। गर्दन, पीठ, कंधे व घुटनों के जोड़ों में समस्या पैदा होती है। कैंसर, मेमोरी पावर, गुर्दा, महिलाओं में बांझपन जैसे रोगों का खतरा भी बनता है।

आर्सेनिक के क्या हैं नुकसान ?

भारतीय मानक ब्यूरो ने आर्सेनिक की सीमा को 10 पीपीबी निर्धारित किया है, मगर वैकल्पिक स्रोतों की कमी पर इस सीमा को 50 पीपीबी तक जायज ठहराया है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, आर्सेनिकोसिस नामक रोग आर्सेनिक की अधिक मात्रा के कारण होती है। आर्सेनिकयुक्त पानी के सेवन से त्वचा संबंधी कई समस्याएं आती हैं। किडनी, फेफड़े का कैंसर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर व कई अन्य रोगों का खतरा भी बना रहता है।   

फ्लोराइड व आर्सेनिक दोनों से प्रभावित हैं 11 राज्य

सर्वे के अनुसार, भारत में 11 राज्यों में भूगर्भीय जल में फ्लोराइड व आर्सेनिक दोनों की मात्रा काफी अधिक पायी गई है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, झारखंड हैं। गौर करने वाली बात ये भी है कि यूपी के 43 जिले फ्लोराइड से प्रभावित हैं, लेकिन यूपी में आर्सेनिक की मात्रा सामान्य मिली है।

जाहिर है कि सर्वे आने के बाद भारत में पेयजल की गुणवत्ता चिंता का विषय बन रही है। क्योंकि आज भी भारत में मैदानी क्षेत्रों के कई राज्य हैंड पंप व नलकूप व अन्य रूपों में भूगर्भीय जल पर पूरी तरह आश्रित हैं। ऐसे में देश में पेयजल की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के साथ वर्षा जल को संरक्षित करने समेत अन्य माध्यम से पेयजल संकट से निपटने की दिशा में गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।

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