मिजोरम में पहली बार डेल्टा प्लस वेरिएंट के तीन मामले सामने आए, राज्य में अलर्ट जारी हुआ
आइजोलः पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में डेल्टा वेरिएंट के मामले सामने आए हैं. राज्य के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा है कि मिजोरम से डेल्टा प्लस वेरिएंट के कम से कम तीन मामलों के बारे में पता चला है. सरकारी अधिकारी और राज्य सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता डॉ पचुआउ लालमलसामा ने कहा कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए 350 नमूनों में से तीन डेल्टा प्लस वैरिएंट पॉजीटिव पाए गए हैं.
डॉ लालमलसामा ने कहा कि 350 नमूने अगस्त में बंगाल के कल्याणी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआईबीएमजी) को भेजे गए थे. जिन नमूनों के डेल्टा प्लस संस्करण के होने की पुष्टि की गई थी, उनमें से दो राज्य के चम्फाई जिले के रोगियों के थे और एक कोलासिब जिले के एक मरीज के थे.
उन्होंने बताया कि अध्ययनों से पता चला है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट में अन्य प्रकार के कोरोना वायरस की तुलना में उच्च संचरण क्षमता है. 70 नमूनों के डेल्टा वंश से होने की पुष्टि की गई और आगे का अध्ययन किया जा रहा है. आइजोल, लुंगलेई, कोलासिब, चम्फाई और सेरछिप जिलों के 213 नमूने डेल्टा वैरिएंट के लिए पॉजीटिव आए हैं.
पचुआउ के अनुसार, मिजोरम में अब तक नए कोविड-19 वैरिएंट के 510 मामले सामने आए हैं. राज्य ने अप्रैल में डेल्टा वैरिएंट के पहले चार मामले, डेल्टा वैरिएंट के 73 मामले और जुलाई में अल्फा और बीटा संस्करण के एक-एक मामले दर्ज किए थे. उन्होंने बताया कि अगस्त के महीने में राजय् में कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट के 115 और मामले सामने आए थे.
इस बीच मिजोरम में बुधवार को पिछले 24 घंटों में 1,355 कोरोना के नए मामले सामने आए. इस दौरान छह लोगों की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि एक दिवसीय संक्रमण दर 15.39 प्रतिशत थी, क्योंकि 8,805 नमूना परीक्षणों से ताजा मामलों का पता चला था। उन्होंने कहा कि कम से कम 807 रोगियों में कोविड-19 के लक्षण विकसित हुए हैं.
बता दें कि मिजोरम में अब 15,363 एक्टिव केस हैं. जबकि मंगलवार को 1,127 लोगों ने कोरोना को हरा दिया. राज्य में अब तक 67,184 लोग कोरोना से उबर चुके हैं. राज्य में कोविड-19 रोगियों में ठीक होने की दर 82.47 प्रतिशत और मृत्यु दर 0.33 प्रतिशत है. राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. लालजावमी के अनुसार, मंगलवार तक 6.72 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है, जिनमें से 3.85 लाख लोगों को पूर्ण खुराक मिल चुकी हैं.