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पहली बार रुपया 80 पार, 2014 के बाद डॉलर के मुकाबले 25% गिरा, भारत सरकार ने कबूला

नई दिल्ली : पहली बार ऐसा हुआ है, कि डॉलर के मुकाबसे रुपये की वैल्यू 80 पार चली गई है, यानि अब आपको एक डॉलर देने पर 80 रुपये मिलेंगे। यानि, डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार गिरना जारी है, वहीं, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा है कि, भारतीय रुपये के मूल्य में दिसंबर 2014 के बाद से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, भारतीय वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि, हाल ही में आई गिरावट कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक कारकों की वजह से हैं। लेकिन, उसके बाद भी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 25 प्रतिशत तक गिरावट आना कई सवाल खड़े करता है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया मंगलवार को मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण 80 के स्तर तक गिर गया है, जिससे इसकी साल-दर-साल गिरावट लगभग 7 प्रतिशत हो गई है। घरेलू मुद्रा के शुरुआती कारोबार में एक दिन पहले ट्रेड 79.9775 पर बंद हुआ था और आज ये 80.0175 के निचले स्तर पर पहुंच गई है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य बाजार रणनीतिकार आनंद जेम्स ने कहा कि, रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 79.85-80.15 के दायरे में कारोबार कर सकता है। दिसंबर 2014 से डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्य में लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट आई है और हाल ही में गिरावट कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक कारकों के कारण है, भारतीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की संसद में ये बात कबूल की है।

भारत की विदेश मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि, 31 दिसंबर 2014 को एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 63.33 भारतीय रुपये थी। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री द्वारा उल्लिखित आंकड़ों के अनुसार 11 जुलाई, 2022 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.41 पर आ गया है। वहीं, सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.98 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। भारतीय रुपये की कीमत में लगातार सातवें दिन गिरावट आई है। लोकसभा में एक तारांकित प्रश्न के उत्तर में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, “रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक कारक, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और वैश्विक वित्तीय स्थितियों का सख्त होना, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर होने के प्रमुख कारण हैं।” हालांकि, उन्होंने संसद के निचले सदन को सूचित किया कि भारतीय मुद्रा अन्य प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हुई है।

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