विदेशी मीडिया की टिकी थी भारत के चुनाव पर निगाहें, जानिए किस मीडिया हाउस ने क्या की टिप्पणी
नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के लोकसभा चुनाव नतीजों पर न सिर्फ देश की ही नहीं बल्कि विदेशी मीडिया की निगाहें टिकी हुई हैं। देश के ही नहीं विदेश के मीडिया हाउस भी भारत के चुनाव को कवर कर रहे हैं। विदेशी मीडिया ने एन.डी.ए. को बहुमत मिलने पर अलग-अलग टिप्पणियां की हैं।
भाजपा के दावे साबित हुए गलत: द गार्जियन
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन की वेबसाइट की रिपोर्ट ने लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने नेतृत्व में हो रहे इस तीसरे चुनाव में जबरदस्त जीत के दावे कर रहे थे लेकिन इन रुझानों से पता चलता है कि उन्होंने वो शानदार जीत हासिल नहीं की है जिसकी कई लोगों ने भविष्यवाणी की थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया मोदी को रेफरेंडम
न्यूयॉर्क टाइम्स ने नतीजों को प्रधानमंत्री मोदी के 10 साल के कार्यकाल पर रेफरेंडम बताया है। टाइम्स के मुताबिक काफी हद तक नरेंद्र मोदी को तीसरे कार्यकाल में काम करने का मौका मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नए बने विपक्षी गठबंधन ने मोदी की बंटवारे की राजनीति के खिलाफ वोट मांगा था। विपक्ष ने लोगों के मन में ये डर भरा था कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि एग्जिट पोल्स में भाजपा की बड़ी जीत का अनुमान लगाया गया था। बड़े बहुमत की खबरों से सोमवार को भारत के शेयर मार्केट ने रिकॉर्ड सेट किया। हालांकि मंगलवार सुबह कहानी बदल गई। जैसे ही नतीजे आने शुरू हुए तो एग्जिट पोल्स के उलट विपक्ष टक्कर देता दिखाई देने लगा।
कैंपेन में इस्लाम विरोधी भाषा का इस्तेमाल किया: सीएनएन
सीएनएन लिखता है कि भारत के सबसे पॉपुलर लेकिन विवादित नेता को तीसरे टर्म का इंतजार है। पीएम मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े आबादी वाले देश में लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने के लिए कैंपेन में इस्लाम विरोधी भाषा का इस्तेमाल किया।
बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को छिपा नहीं सकते: अलजजीरा
अलजजीरा ने लिखा कि पीएम मोदी की भाजपा और एन.डी.ए. गठबंधन सभी दलों से आगे है। चुनौती देने के लिए बनाया गया गठबंधन इंडिया अलायंस उन्हें कड़ी टक्कर दी है। कांग्रेस ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। नतीजों में कड़ा संदेश छिपा है, कि मोदी फिर से सत्ता में आने के बाद अपनी कितनी पीठ थपथपा लें, लेकिन वह बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को छिपा नहीं सकते। मोदी को जरूरत है कि वह इन मुद्दों पर कुछ करें, अभी तक उन्होंने पुरानी सरकारों पर दोष मढ़ा है। लोग उनसे जवाब मांग रहे हैं।
पाकिस्तानी अखबार डॉन में छलका मुस्लिमों के लिए दर्द
पाकिस्तानी अखबार डॉन में जावेद नकवी ने लिखा कि चुनाव परिणाम यह तय करेगा कि भारत का लोकतंत्र में कितना यकीन है। उन्होंने आगे लिखा कि चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने मुसलमानों पर कई बार हमला किया। उन्होंने मुस्लिमों को घुसपैठिया बताया और 80 प्रतिशत हिंदुओं को डेमोग्राफिक डर दिखाया। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिमों की नजर हिंदू महिलाओं के मंगलसूत्र और हिंदुओं के रोजगार पर है। उन्होंने कांग्रेस के मेनिफेस्टो को मुस्लिम लीग का डॉक्यूमेंट बताया।
भाजपा चुनाव जीतने के लिए मोदी ब्रांड पर निर्भर रहती है: फ्रांस 24
फ्रांस 24 ने लिखा कि 10 साल की सत्ता में नरेंद्र मोदी ने भारत की राजनीति के परिदृश्य को ही बदल दिया था। उनकी पॉपुलैरिटी ने उनकी पार्टी को पीछे छोड़ दिया। मोदी ने संसदीय चुनाव को राष्ट्रपति चुनाव जैसा बना दिया। नतीजा ये रहा कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए मोदी ब्रांड पर निर्भर रहती है। बीबीसी ने लिखा कि नतीजे तय करेंगे कि नरेंद्र मोदी को तीसरा कार्यकाल मिलेगा या नहीं। वे लगातार सबसे ज्यादा वक्त तक भारत के प्रधानमंत्री चुने जाने वाले जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड को तोड़ पाएंगे या नहीं।