जमानत पर रिहा पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति फिर गिरफ्तार
लखनऊ में दर्ज केस में पुलिस ने की कार्रवाई
लखनऊ : सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दुष्कर्म केस में हाल ही में जेल से जमानत पर रिहा हुए गायत्री प्रसाद प्रजापति को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। राजधानी लखनऊ के गाजीपुर थाने में गुरुवार को दर्ज धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी देने के मामले में पुलिस ने यह कार्रवाई की है।
आरोपित को कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। कोर्ट ने पूर्व मंत्री को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पूर्व मंत्री का पहले से ही किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में इलाज चल रहा है। अब उनका इलाज पुलिस की निगरानी में होगा। पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को राजधानी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
पूर्व मंत्री के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले की पैरवी करने वाले हाई कोर्ट के अधिवक्ता दिनेश चंद्र त्रिपाठी ने गुरुवार को लखनऊ के गाजीपुर थाने में एफआइआर दर्ज की गई थी। पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय के मुताबिक आरोपित को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय में पेश किया गया था, जहां कोर्ट ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की 14 दिन की रिमांड मंजूर कर दी।
पुलिस के मुताबिक छानबीन में सामने आया है कि पूर्व मंत्री पर दुष्कर्म की एफआइआर दर्ज कराने वाली महिला को गायत्री की ओर से मकान और प्लाट दिया गया था, जो दस्तावेजों में फेरबदल कर हुआ था। यही नहीं महिला को जो प्रॉपर्टी दी गई थी वह गायत्री के चालक ने उसे बेची थी। महिला की ओर से कुछ चेक दिखावे के तौर पर दिए गए थे जो बाउंस हो गया। महिला केजीएमयू में पूर्व मंत्री से मिलने जाती थी इसकी पुष्टि भी हुई है। यही नहीं दोनों के बीच फोन पर बातचीत और अधिवक्ता को धमकी देने की बात भी सामने आई है। पड़ताल में पूर्व मंत्री की भूमिका सामने आने के बाद राजधानी पुलिस ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को गिरफ्तार कर लिया। अब केजीएमयू में पुलिस की निगरानी में पूर्व मंत्री का इलाज होगा। माना जा रहा है कि इस मामले में आरोपी महिला को भी पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। गौरतलब है कि पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म मामले की पैरवी करने वाले अधिवक्ता दिनेश चंद्र त्रिपाठी ने गाजीपुर थाने में गुरुवार को गायत्री प्रसाद प्रजापति और उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला व उसकी बेटी समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।
अधिवक्ता का आरोप है कि फरवरी 2019 में दुष्कर्म की एफआइआइ दर्ज कराने वाली महिला ने उनसे गायत्री व अन्य आरोपितों के पक्ष में शपथ पत्र लगाने की बात कही थी। अधिवक्ता ने जब इसका विरोध किया तो वह नाराज हो गई और धमकी देने लगी थी। इसके बाद पूर्व मंत्री के साथ मिलकर महिला ने अधिवक्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी थी। अधिवक्ता दिनेश चंद्र त्रिपाठी का आरोप है कि महिला की तरफ से पूर्व मंत्री के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मुकदमे की पैरवी कर रहे थे, लेकिन बाद में पीड़िता व आरोपी ने सांठगांठ करके उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। उनकी फीस नहीं दी और मुकदमे भी दर्ज करा दिए। उन्होंने पूर्व मंत्री और महिला से अपनी जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है।