नौसेना के चार बहादुरों को मिला वीरता पदक
नई दिल्ली(एजेंसी): स्वतंत्रता दिवस पर नौसेना पदक (वीरता) पाने वाले मृगांक श्योकंद, धनुष मेनन, हरिदास कुंडू और नवीन कुमार ने ऐसे बहादुरी दिखाई है, जिसकी वजह से वे इस सम्मान के हकदार बने। कैप्टन मृगांक श्योकंद ने विमान में आग लगने पर दक्षिण गोवा के भारी आबादी वाले क्षेत्र में बड़ी तबाही होने से रोका था। कमांडर धनुष मेनन ने एयर क्रू गोताखोर हरिदास कुंडू के साथ कर्नाटक में भीषण उफनाई नदी के बीच से दो वृद्धों को निकालकर जान बचाई थी। वीरता का चौथा नौसेना पदक पाने वाले नाविक नवीन कुमार ने कश्मीर में एक ऑपरेशन के दौरान अपने सैनिकों की कीमती जान बचाई थी।
कैप्टन मृगांक श्योकंद भारतीय नौसेना के विमान मिग-29K बेड़े के सबसे अनुभवी पायलटों में से एक है। वह अब तक 2000 घंटे से अधिक उड़ान भर चुके हैं और साथ ही योग्य उड़ान प्रशिक्षक भी हैं। 16 नवम्बर 19 को कैप्टन श्योकंद ने मिग 676 में प्रशिक्षण मिशन के लिए डाबोलिम हवाई अड्डे से प्रशिक्षु पायलट के साथ उड़ान भरी। 1200 फीट की ऊंचाई पर मिग 676 को अचानक पक्षियों के झुंड का सामना करना पड़ा। विमान से टकराकर कई पक्षी मर गए और कुछ विमान के दोनों इंजनों में प्रवेश कर गए, जिसके परिणामस्वरूप दोनों इंजनों में आग लग गई। कैप्टन श्योकंद ने तुरंत प्रशिक्षु पायलट से विमान अपने नियंत्रण लिया और रेडियो पर आपातकाल की घोषणा करके विमान को ठीक करने के लिए अपनी पूरी कोशिश की। विमान का बायां इंजन फेल हो चुका था और काम कर रहे दूसरे इंजन के गियरबॉक्स में आग लग गई।
इस विषम परिस्थितियों में पायलट को एहसास हुआ कि नीचे दक्षिण गोवा का भारी आबादी वाला क्षेत्र है। उस समय विमान में 2000 किलो ईधन था जिससे आबादी क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त होने पर बहु बड़ी तबाही मच सकती थी। इस मुश्किल घड़ी में फैसले लेने के लिए कुछ सेकंड ही थे। इसके बावजूद शांत और संयमित तरीके से कैप्टन मृगांक श्योकंद ने कुछ सेकंड में स्थिति का आकलन किया और विमान को आबादी क्षेत्र से बाहर अयोग्य बंजर भूमि की ओर ले गए। वहां विमान से कूदकर खुद अपनी और प्रशिक्षु की जान बचाने के अलावा आबादी क्षेत्र में बड़ी दुर्घटना होने से रोक लिया। उन्होंने आपातकाल से निपटने में उत्कृष्ट पेशेवर, बेहतर उड़ान कौशल का प्रदर्शन किया।
वीरता का नौसेना पदक पाने वाले कमांडर धनुष मेनन को बेलगावी, कर्नाटक में ’ऑपरेशन वर्षा राहत’ के लिए 08 अगस्त 19 को नौसेना टुकड़ी कमांडर के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। हालौली गांव में एक पेड़ के नीचे दो वृद्धों के फंसे होने की सूचना मिलने पर वह कम दृश्यता, मूसलाधार बारिश और खतरनाक अवरोधों के बीच 09 अगस्त 19 को एएलएच विमान लेकर पहुंचे और चुनौतीपूर्ण मिशन को अंजाम दिया। बचाव स्थल के पास 5 मीटर की दूरी पर हाई वोल्टेज विद्युत लाइन जा रही थी और मुसीबत में फंसे दोनों वृद्ध भोजन और पानी के तीन दिनों से तरस रहे थे। वे इतने थके हुए थे कि खुद अपने बचाव की भी स्थिति में नहीं थे। उफनती नदी में नाव से इन्हें बाहर निकालना खतरे से खाली नहीं था। 25 मील की रफ़्तार से चल रही समुद्री हवाओं ने समस्याओं को और बढ़ा दिया।
इन विपरीत परिस्थितियों के बीच कमांडर धनुष मेनन ने असाधारण साहस का प्रदर्शन करते हुए बचाव कार्य शुरू किया। तेज चल रही क्रॉस हवाओं के बीच उन्होंने दो मिनट में ही 175 फीट की ऊंचाई से नीचे उतरकर बचाव स्थल पर 15 फीट की ऊंचाई पर 25 मिनट तक विमान को मंडराने का बेहद खतरनाक निर्णय लिया। उनके साथ मौजूद एयर क्रू गोताखोर हरिदास कुंडू ने खुद भी हौसला बनाए रखा और कमांडर धनुष मेनन के फैसलों में पूरी तरह साथ दिया। खतरनाक परिस्थितियों और अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना कुंडू ने जोर देकर मुसीबत में फंसे वृद्धों से कहा कि वे नदी के भारी प्रवाह के बीच आ जाएं, उन्हें बचा लिया जाएगा। उफनती नदी के 5 मीटर ऊपर हाई वोल्टेज विद्युत लाइन के बावजूद हरिदास कुंडू आगे बढ़े और लगभग मौत के मुंह में पहुंच चुकी दो आत्माओं के जीवन को बचा लिया।
वीरता के नौसेना मैडल से नवाजे गए चौथे शख्स नाविक नवीन कुमार हैं जो उस टीम का हिस्सा थे जिसने कश्मीर में एक ऑपरेशन के दौरान आतंकवादियों का सफाया किया था। अपनी वीरतापूर्ण कार्रवाई से नवीन कुमार ने भारतीय नौसेना की उच्चतम परंपराओं को कायम रखते हुए न केवल अपने सैनिकों की कीमती जान बचाई बल्कि ऑपरेशन के सफल निष्पादन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।