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फ्रांसीसी कंपनी ने भारतीय वायु सेना के लिए तैयार किया पहला सी-295 विमान

नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना के लिए फ्रांसीसी कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस ने पहला सी-295 ट्रांसपोर्ट सैन्य परिवहन विमान तैयार कर लिया है। फ़्रांस की कंपनी 16 विमान स्पेन में तैयार करके भारत को ‘फ्लाइंग मोड’ में आपूर्ति करेगी। इसके अलावा दस वर्षों के भीतर टाटा कंसोर्टियम भारत में ही 40 विमानों का निर्माण करेगा। पहले विमान को तैयार करके पेंट करने का कार्य कई दिनों से चल रहा था। फ़्रांसीसी कंपनी के साथ पिछले साल सितंबर में 56 विमानों का सौदा फाइनल हुआ था।

वायु सेना ने फ्रांसीसी कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस का एक वीडियो साझा करके जानकारी दी कि भारत को आपूर्ति करने के लिए पहला सी-295 ट्रांसपोर्ट सैन्य परिवहन विमान तैयार हो चुका है। महज एक मिनट के इस वीडियो में विमान को पेंट किये जाने की पूरी प्रक्रिया को दिखाया गया है। विमान को हल्के पीले रंग में पेंट किया गया और इसके बाद भारतीय वायु सेना के पारंपरिक रंग ‘ग्रे’ की कोटिंग की गई है। पेंटिंग होने के बाद विमान के दोनों और हिंदी और अंग्रेजी में ‘भारतीय वायु सेना’ और ‘इंडियन एयर फ़ोर्स’ लिखा गया है। कंपनी ने वीडियो में बताया है कि पहला विमान भारत को आपूर्ति करने के लिए तैयार हो चुका है।

रक्षा मंत्रालय और स्पेन की कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के बीच पिछले साल 24 सितम्बर को अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए गए थे। सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने 08 सितम्बर को भारतीय वायु सेना के लिए 56 ट्रांसपोर्ट विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी। इसमें 40 विमान दस वर्षों के भीतर टाटा कंसोर्टियम भारत में ही बनाएगा। बाकी 16 विमान सीधे कंपनी से चार साल के भीतर ‘फ्लाइंग मोड’ में भारत को आपूर्ति किए जाएंगे। यह अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसमें निजी कंपनी टाटा भारत में सैन्य परिवहन विमान का निर्माण करेगी। सभी 56 विमानों को स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट के साथ स्थापित किया जाएगा।

यह परियोजना भारत में एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगी, जिसमें देश भर में फैले कई एमएसएमई विमान के कुछ हिस्सों के निर्माण में शामिल होंगे। यह कार्यक्रम भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बड़ा बढ़ावा देगा, क्योंकि यह भारतीय निजी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी गहन और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग में प्रवेश करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा। यह परियोजना घरेलू विमानन निर्माण को बढ़ावा देगी, जिसके परिणामस्वरूप आयात पर निर्भरता कम होगी और निर्यात में अपेक्षित वृद्धि होगी। उम्मीद है कि इससे 600 उच्च कुशल रोजगार सीधे और 3000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होंगे। यह कार्यक्रम स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करने और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की एक अनूठी पहल है।

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