G7 देशों के बयान से बौखलाया चीन, बोला-‘बीजिंग को निशाना बनाया गया’
नई दिल्ली : जापान के हिरोशिमा में शनिवार को G7 देशों ने साझा बयान जारी करते हुए चीन का नाम लिए बिना सख्त तेवर दिखाए थे. इस बयान में चीन को संदेश दिया था कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को खत्म करने के लिए अपने रणनीतिक साझेदार रूस पर दबाव बनाए. इसके अलावा चीन (China) से कहा गया कि वो ताइवान की स्थिति का सम्मान करे. G7 देशों के संयुक्त बयान पर चीन तिलमिला उठा है और उसने बयान का विरोध जताया है.
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जी7 के मंच से दक्षिणी चीन सागर से जुड़े मामले, मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों में दखल देने के आरोपों समेत कई मामलों में बीजिंग को निशाना बनाया गया है. ड्रैगन की ओर से कहा गया है कि जी7 ने उसकी चिंताओं की परवाह नहीं की. इसके साथ ही ताइवान समेत उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया है.
विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बयान में कहा, “जी7 देशों की ओर से चीन से संबंधित मुद्दों में हेरफेर करने की कोशिश के अलावा चीन पर आरोप लगाने और उस पर हमला करने की कोशिश हुई है.” इन्हीं सब मुद्दों पर चीन ने अपना कड़ा विरोध जताया है.
शनिवार को जारी संयुक्त बयान में जी 7 देशों ने जोर देकर कहा कि वे चीन को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं और बीजिंग के साथ ‘अच्छे और स्थिर संबंध’ चाहते हैं. चीन के साथ खुलकर बातचीत करने और अपनी चिंताओं को सीधे जाहिर करने के महत्व को पहचानते हैं.
बयान में कहा गया है, हम चीन से रूस पर अपनी सैन्य हमले को रोकने के लिए दबाव डालने और तुरंत पूरी तरह से और बिना शर्त के यूक्रेन से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का आह्वान करते हैं. हम चीन को यूक्रेन के साथ सीधी बातचीत समेत क्षेत्रीय अखंडता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और उद्देश्यों के आधार पर एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का समर्थन करने के लिए अपील करते हैं.
जी-7 देशों के नेताओं ने पूर्व और दक्षिण चीन सागरों की स्थिति के बारे में ‘गंभीर चिंता’ भी जताई, जहां बीजिंग अपनी सैन्य ताकत का विस्तार कर रहा है और ताइवान पर अपना नियंत्रण हासिल करने के लिए बल प्रयोग करने की धमकी दे रहा है. संगठन ने ताइवान पर चीन के दावे के ‘शांतिपूर्ण समाधान’ का आह्वान किया. बता दें कि 1949 में चीनी मुख्य भूमि पर कम्युनिस्टों के सत्ता में आने के बाद से ताइवान को लेकर विवाद सुलझ नहीं पाया है. जी 7 चीन में मानवाधिकारों के बारे में आवाज उठाने के लिए भी एकजुट हुआ, जिसमें तिब्बत, हांगकांग और झिंजियांग के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र शामिल हैं, जहां जबरन श्रम का लगातार मुद्दा बना रहता है.