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एक अप्रैल से 11 फीसदी तक महंगी हो जाएंगी जरूरी दवाएं, खांसी-बुखार भी करेगा जेब ढ़ीली

नई दिल्ली। नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिंस (National List of Essential Medicines-NLEM) मतलब आवश्यक दवाओं की सूची (essential medicines list) में आने वाली लगभग 800 दवाइयों की कीमतों में अप्रैल से 10.7 फीसदी का इजाफा होने जा रहा है. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में तेज बढ़ोतरी की वजह से ऐसा होने जा रहा है।

अब बुखार, संक्रमण, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी (Increase in drug prices) हो जाएगी. इसमें पैरासिटामोल, फेनोबार्बिटोन, फिनाइटोइन सोडियम, एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड और मेट्रोनिडाजोल जैसी दवाएं शामिल हैं।

जिन दवाओं के दाम बढ़ाए गए हैं उन्हें आवश्यक दवाओं की श्रेणी में गिना जाता है. ये नेशनल एसेंशियल लिस्ट ऑफ मेडिसिन (NLEM) में आती हैं. नेशनल एसेंशियल लिस्ट ऑफ मेडिसिन की संशोधित नीति वर्ष 2013 में लागू हुई थी। उसके बाद से जरूरी दवाओं के दामों में यह अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि (10.76 फीसदी की) है. एनपीपीए इससे पहले इन दवाओं के दाम 4 प्रतिशत बढ़ा चुका है.

कौन-कौन सी दवाएं होंगी महंगी
आवश्यक दवाओं की श्रेणी में एंटीबायोटिक्स, सर्दी-खांसी की दवाएं, कान-नाक और गले की दवाएं, एंटीसेप्टिक्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स, दर्द और गैस की दवाओं सहित 800 से ज्यादा दवाएं शामिल हैं. बुखार में काम आने वाली पैरासिटामोल (paracetamol) और बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज वाली एंटीबायोटिक्स एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) भी इनमें शामिल है. फोलिक एसिड, विटामिन और मिनरल्स की कमी को दूर करने वाली दवाएं भी इसी श्रेणी में आती हैं।

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