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आईईडी बनाने से लेकर गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा करने तक पीएफआई का था ‘बड़ा’ प्लान

नई दिल्ली : सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य लोगों को घर पर आईईडी बनाने की ट्रेनिंग दे रहे थे, जिसका इस्तेमाल बाद में किया जाना था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पीएफआई नेता देश को अस्थिर करने की योजना बना रहे थे। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में पीएफआई नेता मोहम्मद नदीम से आईईडी बनाने योजना वाली एक लिखित सामग्री बरामद की गई। उत्तर प्रदेश के खदरा में एक पीएफआई नेता, अहमद बेग नदवी के घर से ‘आसानी से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके आईईडी कैसे बनाया जाए’ शीर्षक वाला एक दस्तावेज बरामद किया गया। सुरक्षा एजेंसियों के एक सूत्र ने कहा, तमिलनाडु में एसडीपीआई के रामनाड जिला अध्यक्ष बाराकथुल्ला के आवास से दो लोवरेंस एलएचआर-80 बरामद किए गए।

सूत्रों के अनुसार, बेंगलुरू में पीएफआई नेता शाहिद खान के आवास से भारी मात्रा में नकदी और कोलकाता में पीएफआई कार्यालय से शारीरिक शिक्षा (पीई) गाइड बरामद किया गया। पीएफआई के महाराष्ट्र अध्यक्ष इरफान मिल्ली के घर से भी पीई सामग्री बरामद की गई। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने आरोपियों के ठिकाने से सैकड़ों आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है जो इस बात का संकेत है कि पीएफआई 2047 तक भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता था।

मिशन 2047 से संबंधित ब्रोशर और सीडी समेत कुछ प्रमुख दस्तावेज (भारत को इस्लामिक स्टेट में परिवर्तित करने के लिए सामग्री युक्त दस्तावेज) पीएफआई महाराष्ट्र के उपाध्यक्ष के कब्जे से और पीई सामग्री राज्य अध्यक्ष के घर से बरामद की गई थी। एजेंसियों ने आईएस, गजवा-ए-हिंद से संबंधित वीडियो वाले पेन ड्राइव भी बरामद किए। तमिलनाडु से एक लोवरेंस हैंडहेल्ड समुद्री रेडियो सेट बरामद किया गया।

एजेंसियों ने कहा कि पीएफआई का पीड़ित होने का दावा करने का लंबा इतिहास रहा है लेकिन हकीकत इसके उलट है। पीएफआई के नेताओं और कैडरों द्वारा उसके नेताओं की गिरफ्तारी के बाद की गई हिंसा ने उनकी हिंसक प्रवृत्ति को उजागर किया। दक्षिणी राज्यों, विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु, जहां पीएफआई की काफी उपस्थिति है, वहां पीएफआई नेताओं की गिरफ्तारी के बाद हिंसा हुई।

पीएफआई के कई सदस्य एनआईए की कार्रवाई के विरोध में तमिलनाडु और केरल में कई जगहों पर पेट्रोल बम फेंकने और आगजनी करने समेत हिंसा में लिप्त हैं। पीएफआई ने कई सरकारी और निजी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया, कई घरों पर पेट्रोल बम फेंके और सड़क जाम कर दिया, जिससे जनता को असुविधा हुई।

ओएमए सलाम, पीएफआई अध्यक्ष वर्तमान में अपने विभाग केरल राज्य विद्युत बोर्ड (केएसईबी) से निलंबित हैं और उनकी अनधिकृत विदेश यात्रा के लिए विभागीय जांच चल रही है और एक सरकारी कर्मचारी होने के दौरान पीएफआई अध्यक्ष का पद भी उनके पास था। सलाम के करीबी सहयोगी एम. मोहम्मद इस्माइल से ईडी द्वारा बरामद एक डायरी में भारत में गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा करने के लिए पीएफआई और सलाम की एक भयावह साजिश का खुलासा हुआ। पीएफआई के राष्ट्रीय सचिव नजरुद्दीन ईलामाराम के खिलाफ 2009 से अब तक अलग-अलग धाराओं के तहत 10 मामले दर्ज हैं।

पी. कोया, पीएफआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद के सदस्य एक प्रतिबद्ध सिमी नेता और अंसार थे। वह राजस्थान के गुर्जरों और मालियों के बीच विभाजन पैदा करने में भी शामिल था। उसने पीएफआई के उपाध्यक्ष ईएम अब्दुल रहिमन के साथ निजी तौर पर अल-कायदा से जुड़े तुर्की चैरिटी संगठन आईएचएच की तरफ से मेजबानी की थी। ईएम अब्दुल रहमान 1984 में सिमी के अखिल भारतीय महासचिव था। वह सिमी समर्थक संगठन करुणा फाउंडेशन से भी जुड़ा था। पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन हमास का खुलकर समर्थन और प्रशंसा की थी।

इस बरामदगी ने पीएफआई नेताओं के इरादों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूची लंबी है, पीएफआई नेतृत्व के आपराधिक अतीत का वर्णन करने के लिए कम से कम दर्जनों पृष्ठ लगेंगे। मुद्दा यह है कि अधिकांश पीएफआई नेताओं का देश और उसके प्रतिष्ठानों के लिए नफरत से भरा एक काला अतीत है। सभी चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर अपनी विचारधारा को लागू किया जाए। उन्हें आम मुसलमानों की कोई चिंता नहीं है।

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