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FY18 में सेंसेक्स ने दिया 11% रिटर्न, कैसा रहेगा FY19 कहां बनेंगे कमाई के मौके? पढ़िए

 वित्त वर्ष 2018 के आखिरी कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 205 अंक की गिरावट के साथ 32968 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 70 अंक टूटकर 10113 के स्तर पर बंद हुआ। अंतिम कारोबारी सत्र भले निवेशकों के लिए मंदी वाला रहा हो लेकिन पूरे साल में सेंसेक्स ने निवेशकों को 11.3 फीसद का रिटर्न दिया। इस दौरान निवशकों की झोली में कुल 20.70 लाख करोड़ रुपए आए।

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या अगला वित्त वर्ष भी डबल डिजिट रिटर्न वाला होगा? मार्केट एक्सपर्ट मानते हैं कि 2019 का साल शेयर बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। बीते साल की तरह इस साल बाजार लंबे समय तक एक ही दिशा में नहीं चलेगा बल्कि तमाम घरेलू और अंतरराष्ट्रीय समीकरण ऐसे बन रहे हैं जो बाजार में बड़े उतार-चढ़ाव का कारण बनेंगे।

केजरीवाल रिसर्च एंड इन्वेस्टमेंट सर्विसेज (क्रिस) के फाउंडर और बाजार विशेषज्ञ अरुण केजरीवाल के मुताबिक पिछले कुछ सत्रों से बाजार में जारी गिरावट पर फिलहाल थोड़ा ब्रेक लगेगा लेकिन बाजार में किसी बड़ी तेजी की संभावना फिलहाल नहीं है। केजरीवाल का मानना है कि पिछले साल मजबूत रुपया, सस्ता क्रूड, बाजार में भारी नकदी और ग्लोबल मार्केट से सकारात्मक संकेत तमाम ऐसे फैक्टर थे जो बाजार को ईंधन देने का काम कर रहे थे। लेकिन मौजूदा आर्थिक परिदृश्य एक दम इसके विपरीत है। एक ओर हम महंगे क्रूड, कमजोर होते रुपए और घटती क्रेडिट ग्रोथ के साक्षी हैं वहीं दूसरी ओर ग्लोबल मार्केट में ट्रेड वार की आशंका बनती नजर आ रही है। ऐसे में बाजार में किसी एक तरफा तेजी और बड़े रिटर्न की उम्मीद करना ठीक नहीं होगा।

 निष्ठा कंसल्टेंसी के प्रमुख राजेश शर्मा के मुताबिक शेयर बाजार में लिए मौजूदा समय में सबसे बड़ी चिंता राजनीतिक अस्थिरता है। शर्मा के मुताबिक 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में चुनाव हैं। इनमें बीजेपी की स्थिति निश्चित तौर पर बाजार को दिशा देने का काम करेगी। राजेश शर्मा ने यह आशंका जताई है कि इन विधानसभा चुनावों में अगर बीजेपी की स्थिति खराब रहती है तो बाजार में बड़ी गिरावट की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। राजेश जिस बड़ी गिरावट की आशंका जता रहे हैं उसमें वे निफ्टी के 9000 के नीचे फिसलने का खतरा बता रहे हैं।

एस्कॉर्ट सिक्योरिटीज के हेड रिसर्च आसिफ इकबाल का मानना है कि वित्त वर्ष 2019 में निश्चित तौर कंपनियों के तिमाही नतीजों में सुधार देखने को मिलेगा। इसकी बड़ी वजह बीते साल का बेस इफेक्ट होगा। आसिफ के मुताबिक जीएसटी के क्रियान्वयन के समय कंपनियों के बिजनेस में कमी देखने को मिली थी जो अब पटरी पर लौटता दिख रहा है। ऐसे में कंपनियों के बिजनेस में सुधार का असर तिमाही नतीजों पर भी दिखेगा। यह बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा, लेकिन महंगा क्रूड और लिक्विडिटी की कमी बाजार को बड़ी तेजी में रोड़े साबित होंगे।

केजरीवाल के मुताबिक अगर किसी निवेशक को 2 से 3 साल के नजरिए से निवेश करना है तो वह आराम से निवेश कर सकता है। इस अवधि में उसे अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद है। छोटी अवधि के लिए सौदे बनाने वालों को सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि बाजार में बड़े उतार-चढ़ाव की संभावना बनी रहेगी।

वहीं, आसिफ का मानना है कि बाजार में खरीदारी के मौके चुनिंदा सेक्टर्स में बनेंगे। मसलन सरकारी बैंकों में आई भारी गिरावट के बाद निचले स्तर पर खरीदारी की जा सकती है। दो से तीन साल में इन शेयरों में 15 से 20 फीसद रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है। इसके अलावा कंज्युमर ड्यूरेबल, आइटी और ऑटो सेक्टर्स की मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश फायदेमंद होगा।

वित्त वर्ष 2018 में में निफ्टी के जिन शेयरों ने निवेशकों को सबसे ज्यादा रिटर्न दिया उसमे बजाज फाइनेंस टॉप पर है। 

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