G-20: भारत का पश्चिम एशिया में युद्ध रोकने पर जोर
रियो दि जेनेरियो : दुनियाभर में संघर्ष के बीच भारत ने ब्राजील में जी-20 मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान भू-राजनीतिक मुद्दों को रचनात्मक ढंग से संबोधित कर, साझा जमीन तैयार करने की जरूरत पर बल दिया। विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) को चर्चा व कूटनीति से हल करने तथा इस्राइल-हमास संघर्ष पर द्वि-राष्ट्र समाधान पर भरोसा जताया। भारत का जोर पश्चिम एशिया में युद्ध रोकने के प्रयासों पर रहा।
‘अंतरराष्ट्रीय तनाव से निपटने में जी-20 की भूमिका’ शीर्षक वाले सत्र में बोलते हुए, मुरलीधरन ने संघर्ष के कई बिंदुओं को छुआ और उन पर भारत के रुख की पैरवी की। उन्होंने कहा, भारत आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करता है और हमें पश्चिम एशिया में युद्ध को और अधिक फैलने से रोकने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए ठोस जमीन तैयार करनी होगी। लाल सागर में समुद्री जहाजों पर हमलों का जिक्र करते हुए, उन्होंने समुद्रों में सुरक्षा की जरूरत पर जोर दिया और समुद्री मार्गों की सुरक्षा जरूरी बताई। उन्होंने भू-राजनीतिक मुद्दों को रचनात्मक रूप से संबोधित करने और आम जमीन खोजने की जरूरत पर भी ध्यानाकर्षित किया।
ब्राजील में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर भारतीय विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने बहुपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। मुरलीधरन ने ये भी कहा कि इस्राइल-हमास के बीच जारी लड़ाई अब दुनिया में बढ़नी नहीं चाहिए। साथ ही उन्होंने समुद्री रास्तों की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी अपनी बात रखी।
ब्राजील द्वारा जी-20 समूह की अध्यक्षता संभालने के बाद आयोजित विदेश मंत्रियों की बैठक में संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार का आह्वान किया। ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरा ने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) विश्व में चल रहे संघर्षों को रोकने में असमर्थ रही है। उन्होंने कहा, बहुपक्षीय संस्थाएं मौजूदा चुनौतियों से निपटने में पर्याप्त रूप से सुसज्जित नहीं हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज लुला डी सिल्वा ने भी सुधार पर जोर दिया।
भारत और रूस ने भी कई बार संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर दिया है। भारत का कहना है कि वह संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता पाने का सही हकदार है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र अपने मौजूदा स्वरूप में 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। वहीं रूस भी अफ्रीकी, एशियाई व लैटिन अमेरिकी देशों को समायोजित करने के लिए यूएनएससी में सुधार का पुरजोर समर्थन करता रहा है।