अन्तर्राष्ट्रीय

G-7 Summit :पीएम मोदी से हाथ मिलाने खुद चलकर आये अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन

बर्लिन : जर्मनी में हो रहे जी-7 शिखर सम्मेलन में एक बार फिर भारत की विदेश नीति की कामयाबी और पीएम मोदी की लोकप्रियता की झलक देखने को मिली। सम्मेलन से पहले तमाम राष्ट्राध्यक्षों की भीड़ में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खुद चलकर पीएम मोदी के पास पहुंचे, उनका कंधा थपथपाकर ध्यान खींचा और उनसे हाथ मिलाया। दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का ये कदम पूरे अंतरराष्ट्रीय मीडिया को हैरान कर रहा है। मीडिया एजेंसी रायटर ने इस वीडियो को शेयर किया है। इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि पीएम मोदी से मिलने के लिए किस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति ने इंतजार नहीं किया, बल्कि खुद चलकर उनके पास गये और गर्मजोशी से हाथ मिलाया।

दुनिया के शीर्ष 7 आर्थिक महाशक्तियों के सम्मेलन में जो बाइडेन के इस ऐक्शन पर जमकर चर्चा हो रही है। लोगों का मानना है कि यह भारत के बढ़ते वैश्विक कद का प्रतीक है। भारत ने रूस-यूक्रेन संकट, कोविड महामारी और दूसरे मसलों में जैसी कूटनीति की है, उसका अमेरिका भी कायल है। यही कारण है कि जो बाइडेन पीएम मोदी को इतना महत्व देते नजर आ रहे हैं। वहीं पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अपने कार्यकाल के दौरान बाइडेन से एक मिनट फोन पर बात करने के लिए मिन्नते करते करते थक गए, लेकिन उन्हें अमेरिका ने भाव तक नहीं दिया।

इससे पहले सोमवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। शोल्ज ने दक्षिणी जर्मनी में शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल श्लॉस इलमाउ पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी की। यहां दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के नेता यूक्रेन पर रूसी आक्रमण, खाद्य सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबला सहित विभिन्न महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी ने कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की और आपसी संबंधों को मजबूती देने का प्रयास किया। मोदी जी-7 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रविवार से दो-दिवसीय यात्रा पर जर्मनी में हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की कूटनीति ने किया जबरदस्त असर
यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान जब पूरी दुनिया अलग-अलग ध्रुवों की तरफ खुलकर आ रही थी, उस दौरान भारत ने संतुलन को बनाए रखा। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की वापसी हो या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की बौछार। भारत ने हर मुद्दे पर बखूबी काम किया और अपना रुख बिलकुल साफ रखा। यही कारण है कि यूक्रेन से भारतीय सैनिकों की सुरक्षित वापसी हो पाई और रूस के साथ संबंध भी मजबूत बने रहे। भारत ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद रूस से भारी मात्रा में तेल आयात किया और अमेरिका को भी इससे कोई परेशानी नहीं हुई।

अमेरिका को भी पीएम मोदी ने बखूबी साधा, कई मौकों पर हुई तारीफ
रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरुआती दौर में भारत पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विरोध करने का भारी दबाव था। लेकिन, पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि हमारे द्विपक्षीय संबंध रूस के साथ काफी मजबूत हैं, इस कारण हम किसी दूसरे देश की मांग पर अपने संबंधों को खराब नहीं करेंगे। खुद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंच से भारत को लेकर उठाए गए सवालों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। पीएम मोदी ने हमले के बाद न सिर्फ व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की, बल्कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को भी मदद का आश्वासन दिया।

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