ज्योतिष : गणेश चतुर्थी 22 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन भक्तों द्वारा अपने घरों में गणेशजी को विराजमान कराया जाएगा। इस बार सराफा बाजार में नागर परिवार द्वारा गाय के गोबर की गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। यह सभी प्रतिमाएं विशुद्ध रूप से जैविक पदार्थों से बनाई जा रही हैं। इसमें गोंद, गाय का गोबर इस्तेमाल किया जा रहा है।
वहीं शास्त्रों में बताया गया है कि गाय के गोबर में लक्ष्मीजी का वास होता है। इसलिए मान्यता है कि गोबर के गणेशजी को घर में विराजमान करने से लक्ष्मीजी का वास घर में होता है। गोबर की गणेश प्रतिमा बनाने में समय काफी लगता है। यमुनेश नागर ने बताया कि पहले गोबर को सूखाकर बारिक पीसा जाता है। इसके बाद उसमें ग्वारगम, गोंद मिलाई जाती है। इसके बाद प्रतिमाओं को आकार दिया जाता है। अगर जरा भी गड़बड़ हो जाए तो सारा सामान खराब हो जाता है। क्योंकि एक बार प्रतिमा बिगड़ जाने के बाद उसे फिर से नहीं बनाया जा सकता।
मान्यता है कि देसी गाय के गोबर में लक्ष्मीजी का वास होता है, साथ ही गाय के गोबर से खाद भी बनती है। गोबर से बनी इन गणेश प्रतिमाओं को हम घर के अंदर किसी गमले आदि में भी विसर्जित कर सकते हैं। इससे गमलों में भी खाद मिलेगी और पर्यावरण भी सुरक्षति रहेगा। गोबर के गणेशजी को सबसे अधिक शुद्ध माना जाता है।
पहले गणेशजी की प्रतिमाओं को माता बहनें अपने घरों में गाय के गोबर से बनाती थीं, लेकिन वर्तमान समय में रेडीमेड कार्य प्रचलन में है। इसलिए लोग पीओपी की प्रतिमाएं लेकर आते हैं। गोबर गणेश से पर्यावरण सुरक्षति रहेगा। साथ ही गोबर का होने के कारण घर में लक्ष्मीजी का भी वास होगा।