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सैटेलाइट टैक्स के जरिये अब कम किया जा सकता है अंतरिक्ष में कचरा…

वाशिंगटन (एजेंसी): दुनिया अंतरिक्ष में बादशाहत कायम करने की होड़ में लगी है पर इस होड़ में पृथ्वी के बाद अब अंतरिक्ष में भी कचरा जमा होने लगा है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन के जरिए सलाह दी है सैटेलाइट ‘ऑरबिटल यूज फीस’ का नियम लागू करने से अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे को कम किया जा सकता है।

अमेरिका की कॉपरेटिव इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन इनवॉयरनमेंटल साइंसेज (सीआईआरईएस) के अर्थशास्त्री मैथ्यू बर्गीज ने बताया है की प्रति सैटेलाइट एक करोड़ 76 लाख रुपये की राशि ली जाए तो वर्ष 2040 तक उपग्रह की दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका सीधा असर ये होगा कि उपग्रह के टकराने के मामले कम होंगे और अंतरिक्ष में कचरा कम होगा।

भविष्य में अंतरिक्ष में कचरा और बढ़ेगा
विशेषज्ञों के अनुसार 1950 के दशक में अंतरिक्ष युग की जब शुरुआत हुई तब से लेकर अब तक हजारों की संख्या में उपग्रह, रॉकेट और अन्य चीजें छोड़ी गई हैं। एक अनुमान के अनुसार अभी करीब दो हजार उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं जबकि तीन हजार उपग्रह खराब पड़े हैं। दस सेंटीमीटर से बड़े 34 हजार टुकड़े अंतरिक्ष में हैं।

बीस हजार बड़ी वस्तुएं पृथ्वी की निचली कक्षा में
अमेरिकी स्पेस सर्विलांस नेटवर्क के अनुसार पृथ्वी की निचली कक्षा में करीब बीस हजार बड़ी वस्तुएं एकत्र हुई हैं। इसमें खराब उपग्रह के साथ लॉन्चिंग व्हीकल के अलावा 10 करोड़ से अधिक छोटे-छोटे कण अंतरिक्ष में मौजूद हैं। इन्ही कचरों से टकराने के कारण कई स्पेसक्राफ्ट ध्वस्त भी हुए हैं।

फीस की वसूली 1967 की संधि के खिलाफ
ब्रिटेन केनॉर्थउमब्रिया यूनिवर्सिटी के अंतरिक्ष काननू के विशेषज्ञ प्रो. क्रिस्टोफर न्यूमैन का कहना है कि इस तरह की योजना को लागू करना मुश्किल होगा। 1967 में आउटर स्पेस संधि हुई जिसमें अंतरिक्ष का मुफ्त में इस्तेमाल करने का नियम है। ऐसे में इस तरह का कदम संधि के खिलाफ होगा।

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