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3000 से ज्यादा ऑडिशन दिए, इतने ऑडिशन में हुए रिजेक्ट फिर भी नहीं मानी हार, पढ़िए अभिनेता सुशील बौंठियाल के करियर की स्ट्रगल की कहानी

मुंबई: एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाना इतना आसान नहीं है जितना दूर से लगता है। अगर कोई इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनना चाहता है तो उसके लिए संयम सबसे अहम कड़ी होती है। आज हम जिस अभिनेता के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.. वह उसी संयम की जीती जागती मिसाल हैं… जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखने वाले एक्टर सुशील बौंठियाल की…

हाल ही में बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार यानी अक्षय कुमार की आई फिल्म सेल्फी में सुशील बौंठियाल ने एक पुलिस इंस्पेक्टर के रोल में अपनी प्रतिभाशाली अभिनय का नायाब परिचय दिया है। जिन्होंने यह फिल्म देखी है वह जानते हैं कि सुशील बौंठियाल का कैरेक्टर कितना यूनिक था। आपको बताते चलें कि सुशील ने बॉलीवुड तक अपने पांच जमाने के लिए एक लंबा संघर्ष किया है। टीवी सीरियल फुलवा से इन्होंने ग्लैमर की दुनिया में कदम रखा था। सबसे खास बात तो यह है कि सुशील नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) के प्रोडक्ट हैं।

सुशील की मानें तो एक्टिंग की दुनिया में उनकी राह इतनी आसान नहीं थी। वह बताते हैं कि फिल्मों में काम पाना इतना आसान नहीं है? हीरो तो छोड़िए, फिल्म में नौकर का रोल भी चाहिए तो आदमी को हैंडसम होना चाहिए। सुशील अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि वह रोज-रोज ऑडिशन देने जाते थे। रिजेक्शन उनको इतनी बार फेस करना पड़ा कि एक वक्त ऐसा भी आया कि उन्हें खुद से नफरत होने लगी। उनको यह लगने लगा क्या मैं किसी लायक नहीं हूं। यह समझ लीजिए कि उन्होंने ऑडिशन देने का एक रिकॉर्ड बनाया हुआ है। जी हां उन्होंने 3,000 से ज्यादा ऑडिशन दिए, और उनका नसीब देखें कि वह सारे ऑडिशन में रिजेक्ट हुए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह संयम के साथ अपनी राह पर काम करते रहे और आखिरकार 1 दिन उनको अपनी मंजिल मिल ही गई।

टीवी शो फुलवा से उन्हें बड़ा ब्रेक मिला। इस शो में उन्होंने जन्नत जुबैर के पिता का रोल प्ले किया था। इस रोल से उन्हें बहुत पहचान मिली। यहां तक कि सड़कों पर निकलना मुश्किल हो गया था। इसके बाद उन्होंने टीवी इंडस्ट्री में बहुत समय तक काम किया। हालांकि, उन्हें अधिकतर रोल पिता वाले ही मिलते थे। उन्होंने लगभग 4-5 शोज में सिर्फ बाप का रोल किया। पिता का रोल प्ले करने के पीछे उनकी मजबूरी यह थी कि उन्हें पैसों की जरूरत थी।

खैर, कड़ी मेहनत के बाद सुशील को फिल्म बिल्लू बारबर में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के लिए उन्होंने लगभग 25 दिन शूटिंग की थी, लेकिन बाद में उनके अहम सीन को हटा दिया गया था। जिससे उनको काफी दुख पहुंचा था। सुशील बताते हैं कि सेल्फी मेरे करियर की सबसे बड़ी हिट रही। कागज 2 के अलावा वेब शो एके 47 और तिवारी में भी मैंने काम किया है, जो रिलीज होने वाले हैं। बरहाल… सुशील बौंठियाल आज जिस मुकाम पर हैं, मोहन के कड़े संघर्ष और संयम का नतीजा है। अगर आपके मन में भी किसी भी मुकाम को हासिल करने की इच्छा है तो सुशील की एक कहानी आपको काफी मोटिवेशन दे सकती है।

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