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‘GDP ग्रोथ सुस्त, लिहाजा रेट नहीं बढ़ाएगा RBI’

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर पहली तिमाही की तुलना में काफी कम रही है। हालांकि, आरबीआई द्वारा मुख्य ब्याज दरों में किसी तरह के बदलाव की संभावना बहुत ही कम है।

मुंबई: देश की जीडीपी ग्रोथ जुलाई-सितंबर तिमाही में एनालिस्टों के औसत अनुमान से कम रही, इसके बावजूद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) पॉलिसी रेट को जस का तस बनाए रखेगा। इससे पहले वह लगातार दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुका है। अगर आरबीआई अभी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है तो उससे कंपनियों की फंडिंग कॉस्ट बढ़ेगी, जिसका आर्थिक विकास दर पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके बजाय रिजर्व बैंक सिस्टम में लिक्विडिटी (कैश) बढ़ाने पर ध्यान देगा। यह बात 23 मार्केट पार्टिसिपेंट्स के बीच इकनॉमिक टाइम्स के सर्वे से पता चली है। उनका कहना है कि मंगलवार और बुधवार को होने वाली पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई दरों में बढ़ोतरी नहीं करेगा।

इस बारे में एक्सिस बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट सौगत भट्टाचार्य ने बताया, ‘ग्रोथ में अचानक सुस्ती आई है। इसलिए लंबे समय तक ब्याज दरें इसी स्तर पर रह सकती हैं। आरबीआई आने वाले महीनों में सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाएगा, जिससे लोन ग्रोथ तेज करने में मदद मिल सकती है।’ सिर्फ दो मार्केट पार्टिसिपेंट्स- एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक और इडलवाइज फाइनेंस को इस मीटिंग में कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में 0.25-0.50 पर्सेंट की कटौती की उम्मीद है। बैंकों को अपने डिपॉजिट का जो हिस्सा आरबीआई के पास बगैर ब्याज के रखना पड़ता है, उसे सीआरआर कहते हैं। अभी यह 4 पर्सेंट है। बैंकों ने अभी रिजर्व बैंक के पास 4 लाख करोड़ रुपये सीआरआर के तौर पर जमा कराए हैं। सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी दर 7.1 पर्सेंट रही, जबकि जून तिमाही में यह 8 पर्सेंट थी।

एचडीएफसी बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट अभीक बरुआ ने कहा, ‘अमेरिकी फेडरल रिजर्व की पॉलिसी के चलते पहले रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा था। अगर ग्लोबल और डोमेस्टिक फैक्टर्स में बदलाव आता है तो अगले साल ब्याज दरों में कटौती भी हो सकती है।’ उन्होंने बताया कि फेडरल रिजर्व की पॉलिसी, क्रूड ऑयल के दाम और फिस्कल डेफिसिट से ब्याज दरों की आगे की दिशा तय होगी। इस साल अक्टूबर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के दाम में करीब 30 पर्सेंट की गिरावट आई है। इसी दौरान बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड में आधा पर्सेंट की कमी हुई है। माना जा रहा है कि अमेरिका में फेडरल रिजर्व अगले साल ब्याज दरों में आक्रामक ढंग से बढ़ोतरी नहीं करेगा क्योंकि वहां भी जीडीपी ग्रोथ में कमी आ रही है।

एएनजेड बैंक के इकनॉमिस्ट शशांक मेंदीरत्ता ने बताया, ‘मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग में बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने पर ज्यादा चर्चा होगी, जो लगातार कम बनी हुई है।’ उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक फूड और फ्यूल प्राइसेज में आई कमी को देखते हुए महंगाई दर के अनुमान में भी कटौती कर सकता है। अक्टूबर में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी सीपीआई के मापी जाने वाली रिटेल इन्फ्लेशन 3.31 पर्सेंट थी, जबकि एक महीना पहले यह 3.70 पर्सेंट रही थी। यह मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के 4 पर्सेंट के लक्ष्य से कम है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की सीनियर इकनॉमिस्ट अनुभूति सहाय ने बताया, ‘ट्रेड वॉर और भारत की जीडीपी ग्रोथ के साथ फाइनेंशियल सेक्टर में हुए डिवेलपमेंट को देखते हुए एमपीसी पॉलिसी रेट के बारे में कोई फैसला करेगी। इसमें भविष्य में महंगाई दर के अनुमान का भी ख्याल रखा जाएगा।’ देश के बैंक इस साल 8 अक्टूबर के बाद से रिजर्व बैंक के नेट बॉरोअर्स रहे हैं।

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