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GDP से महंगाई तक, अर्थव्यवस्था के पैमानों पर मनमोहन के मुकाबले कहां खड़ी है मोदी सरकार

केंद्र की पिछली यूपीए सरकार और मौजूदा एनडीए सरकार में देश की अर्थव्यवस्था की क्या दशा-दिशा रही? विभिन्न आर्थिक मोर्चों पर दोनों सरकारों की नीतियों और उपलब्धियों की तुलना अक्सर की जाती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी शुक्रवार को राज्यसभा में बजट प्रस्तावों पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए मनमोहन और मोदी सरकार के दौरान के आर्थिक आकंड़ों का हवाला दिया। उन्होंने 2004 से 2014 के बीच केंद्र की सत्ता में रही कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के आखिरी तीन सालों और मौजूदा मोदी सरकार के तीन सालों के आंकड़े गिनाए। साथ ही, यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी सवाल किए…GDP से महंगाई तक, अर्थव्यवस्था के प्रमुख पैमानों पर मनमोहन के मुकाबले कहां खड़ी है मोदी सरकार

1. यूपीए शासन में 2012-13 में जीडीपी ग्रोथ 5.3 प्रतिशत रही थी जो हाल के वर्षों में सबसे कम है और अगले वर्ष यह आंकड़ा 6.3 प्रतिशत पर पहुंचा था। हमें जीएसटी में एक तिमाही का रेवेन्यू नहीं मिला क्योंकि लोग पुराना माल खपाने में जुट गए और मैन्युफैक्चरिंग ठप पड़ गई तब जीडीपी ग्रोथ 5.7 प्रतिशत रही। एक तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.7 प्रतिशत रही तो हमें आपका भाषण सुनना पड़ रहा है जबकि आपके शासन में पूरे वर्ष की जीडीपी ग्रोथ 5.3 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत रही थी। 

2. यूपीए शासन में चालू खाता घाटा (CAD) दुनियाभर का रेकॉर्ड तोड़ करके 6.8% पर पहुंच गया और आखिरी दो सालों में यह 4.2% और 4.8% पर रहा था। सरकार बदल गई और यह घाटा आधा प्रतिशत, 1%, 1.5% से ज्यादा कभी नहीं गया। 

3. यूपीए के आखिरी तीन सालों में वित्तीय घाटा 5.9%, 4.9%, 4.5% रहा था जबकि हमारे शासन में आने के बाद से फिस्कल डेफिसिट 4.1%, 3.9% और 3.5% रहा। इस वर्ष हम इसे 3.2% पर लाना चाहते थे, लेकिन 3.5% रहा। इसका स्पष्ट कारण यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष में एक महीने का जीएसटी रेवेन्यू कम मिला। 5.9% तक का वित्तीय घाटा रखनेवाले आज हमसे पूछ रहें कि 3.5% के वित्तीय घाटे का लक्ष्य क्यों पूरा नहीं हुआ? 

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