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जर्मनी की हाइड्रोजन ट्रेने अब हरियाणा में पकड़ेगी रफ्तार, जानें कितनी होगी स्पीड

नई दिल्ली : जर्मनी और चीन के बाद अब ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत भारत में भी हाइड्रोजन ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा. दिसंबर 2023 तक ये ट्रेनें यात्रियों के लिए शुरू हो जाएंगी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कुछ महीने पहले ही कहा था कि एक हाइड्रोजन ट्रेन तैयार है. यह ट्रेन पर्यावरण के अनुकूल होगी और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन बिल्कुल भी नहीं करेगी. हालांकि, इस ट्रेन को चलाने में डीजल इंजन से 27 फीसदी अधिक खर्च आएगा.

आपको बता दें कि इन्हीं ट्रेनों को वंदे मेट्रो के नाम से जाना जाएगा. हाइड्रोजन ट्रेनों की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक जा सकती है. हालांकि, भारत में पटरियां इतनी स्पीड नहीं झेल सकती है इसलिए इन्हें कुछ कम गति पर चलाया जाएगा. अश्विनी वैष्णव ने बताया कि हरियाणा में सबसे पहले इसका ट्रायल रन किया जाएगा. यह ट्रायल रन सोनीपत और जींद के बीच होगा.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारतीय रेलवे उत्तर रेलवे कार्यशाला में हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेन का प्रोटोटाइप बना रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि इन ट्रेनों को कोई क्षति न पहुंचे इसके लिए 1275 स्टेशनों का कायाकल्प भी किया जाना है. आपको बता दें कि इस बार के बजट में केंद्र सरकार ने भारतीय रेलवे के लिए 2.41 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

सबसे पहले इन ट्रेनों को हैरिटेज रूट पर चलाने की योजना है. मसलन, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरि माउंटेन रेलवे, कालका शिमला रेलवा वाई, कांगड़ा घाटी और मारवाड़-देवगढ़ मडरिया जैसे रूट पर इनका परिचालन शुरू किया जा सकता है. ये ट्रेनें वायु प्रदूषण तो कम करती हैं, साथ ही आवाज भी बहुत कम करती हैं जिससे ध्वनि प्रदूषण से भी लड़ने में मदद होती है. इसके अलावा हाइड्रोजन को नेचुरल तरीके से बनाया जा सकता है.

जर्मनी ने हाइड्रोजन ट्रेन परियोजना पर करीब 8 करोड़ डॉलर खर्च किए थे. इसकी शुरुआत क्षेत्रीय लाइनों (जैसे यहां लोकल रूट्स) पर हुई. फिलहाल जर्मनी के बड़े शहरों में 27 हाइड्रोजन ट्रेनों का परिचालन किया जाता है. इसके अलावा चीन में हाइड्रोजन ट्रेन का परिचानल किया जाता है. यहां 600 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए इसे 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलाया जाता है.

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