ज्ञान भंडार

गीता जयंती विशेष: रोजाना पढ़ने चाहिए गीता के ये श्लोक

नई दिल्ली: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। तभी से मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया का सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है। इस ग्रंथ का पाठ करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी परेशान नहीं हो सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता का अनुसरण करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज हम आपको गीता के कुछ चुनिंदा श्लोक बता रहे हैं, जिन्हें आपको रोजाना पढ़ना चाहिए।

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥

अर्थ है: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। अर्थात भगवान कृष्णइश श्लोक में आत्मा को अजर-अमर और शाश्वत कह रहे हैं।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

अर्थ है: हे भारत (अर्जुन), जब-जब अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के अभ्युत्थान के लिए अवतार लेता हूं।

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥

अर्थ है: सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।

Related Articles

Back to top button