शादी, बर्थडे पार्टी या अन्य समारोह में भेंट में दे पौधा : डा मृदुल शुक्ल
लखनऊ: श्री राम स्वरुप मेमोरियल विश्वविद्यालय मे प्रोफेसर विनीत गुप्ता के नेतृत्वा मे वैज्ञानिक व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमे विज्ञान भारती के सचिव तथा राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संसथान के वरिष्ठा तकनीकी अधिकारी डा मृदुल कुमार शुक्ल द्वारा रोल ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड आउटरीच प्रोग्राम इन कैरिएर एनहांसमेंट विषय पर वैज्ञानिक व्याख्यान दिया. शुरुआत में डा मृदुल शुक्ल की माता श्रीमती लीलावती देवी को श्रद्धांजलि दी गई. और उनकी याद में ये व्याख्यान का आयोजन किया गया. डा शुक्ल ने व्याख्यान मे अपनी दिवंगत माता श्रीमती लीलावती देवी तथा गुरुजनो को प्रणाम करते हुए बताया कि एनबीआरआई का वैज्ञानिक प्रोडक्ट देश के गरीब लोगो में काफी प्रसिद्ध है जिसका लोगो द्वारा प्रयोग किया जा चूका है. नदी के प्रदूषण को दूर करने के लिए वैज्ञानिको द्वारा के हाइपर एककुमुलेटर प्लांट्स की पहचान की जा चुकी है. इसको कन्स्ट्रक्टर वेटलैंड्स द्वारा इन वनस्पतियो का प्रयोग करके काफी हद तक दूर किया जा सकता है.
श्री राम स्वरुप मेमोरियल विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित
विद्यार्थियों को उन्होने सन्देश दिया कि जब भी वो किसी शादी समारोह बर्थडे पार्टी या किसी अन्य समारोह मे जाये तो पर्यावरण प्रदूषण को नुकसान पहुंचने वाले प्लास्टिक के सामान देने की वजाये एक पौधा दे. यह पौधा प्रकृति को विभिन्न प्रकार से फायदा पहुचायेगा जिससे हम भी लाभान्वित होंगे. पर्यावरण के संतुलन मे आद्र भूमि का बहुत महत्व है. आद्र भूमि अनगिनत प्रकार के मैक्रो ऑर्गैनिस्म वनस्पतियो के विकास तथा संरक्षण के लिए अनुकूल वातावरण बनाते है. सी वेज वाटर मे मौजूद हानिकारक तत्त्व इन पौधों द्वारा सोख लिए जाते है. पौधों, कवको, नील हरित शैवालों द्वारा उपचारित जल को जब वाटर बॉडी मे गिराया जाता है तो पर्यावरण को कम खतरा रहता है. शैवाल की प्रजातियां जो जल शोधन के लिए उपयुक्त होती हैं. उनमे आसीलेटोरिया, ओडिगोनियम, यूलोथ्रिक्स, क्लेमाइडोमोनास फारमिडियम, ग्लाइकोसिस्टिस, हाईड्रोडिक्टियान, स्पाइरोगोरा, आलोथ्रिक्सएक्लोरेला इत्यादि प्रमुख है.
डा मृदुल कुमार शुक्ल का परिचय : डॉ शुक्ल का स्वागत विश्वविद्यालय के केमिकल साइंस के प्रोफेसर रविकांत ने दिया. विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस के एचओडी प्रोफेसर विनीत गुप्ता ने बताया कि डॉ मृदुल शुक्ल अपने कई शोधो पर राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके है. डॉ मृदुल शुक्ल गॉवं गॉवं जाकर साइंस को सरल हिंदी भाषा मे समझाते है और ग्रामीणों को शिक्षित कर रहे है. अभियान मे उनके साथ देश विदेश के कई साइंटिस्ट जुड़ चुके है. डॉ शुक्ल को यूपी प्रगति रत्न पुरस्कार, स्वर्गीय बल गोविन्द वर्मा स्मृति वैज्ञानिक पुरस्कार, यूपी संस्कृति पुरस्कार, साइंटिस्ट ऑफ़ दी ईयर अवार्ड सहित कई अवार्ड मिल चुके है. डॉ शुक्ल द्वारा लिखित पुस्तक पेड़ पौधों द्वारा गंगा नदी प्रदूषण का प्रबंधन काफी लोकप्रिय है. मृदुल शुक्ल ग्राम की समस्याओ को समझकर वैज्ञानिको को लेकर गावो मे लेकर जाते है तथा विज्ञान के विषयो पर व्यख्यान आयोजित करते है और शनिवार और रविवार को गावो मे विज्ञान जागरूकता कार्यक्रम करते है तथा ग्रामीणों की जिज्ञासा का समाधान भी करते है. डॉ शुक्ल पिछले 20-25 सालो मे वनस्पति, बायोटेक्नोलॉजी, पर्यावरण, आउटरीच लेकर विज्ञान जागरूकता के हज़ारो कार्यक्रम करवा चूके है. डॉ शुक्ल के कई शोध कई अंतराष्ट्रीय जनरल मे प्रकाशित हो चुके है.