उत्तर प्रदेशलखनऊ

टेढ़े व मुड़े पंजों को सही कर जीवन को दे रहे रफ़्तार

चार साल में 3837 क्लबफुट वाले बच्चों को मिला मुफ्त इलाज

आरबीएसके जन्मजात विकृति वाले बच्चों को दे रहा नया जीवन

लखनऊ : बच्चों को जन्मजात विकृति क्लबफुट (पैर का अंदर की ओर मुड़ जाना) से छुटकारा दिलाने की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की मुहिम रंग ला रही है। प्रदेश में जुलाई 2018 से फरवरी 2022 के बीच इस समस्या से ग्रसित 3837 बच्चों का मुफ्त इलाज किया गया। बच्चों के पैर में अभूतपूर्व सुधार भी देखने को मिल रहा है। इसके लिए अलग से क्लिनिक भी संचालित किये जा रहे हैं, ताकि बच्चों को क्लबफुट की समस्या से मुक्ति दिलाकर जीवन की दौड़ में आगे बढ़ने के काबिल बनाया जा सके। इस मुहिम में मिरेकल फीट इण्डिया संस्था भी सहयोग प्रदान कर रही है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के महाप्रबन्धक राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम डॉ. वेदप्रकाश का कहना है कि क्लबफुट एक जन्मजात विकृति है, जिसमें बच्चे के पैर अंदर की ओर मुड़ जाते हैं। यह दिक्कत बच्चों में क्यों होती है, इसका कोई प्रमुख कारण तो अभी तक पता नहीं चल सका है, किन्तु इस तरह का पारिवारिक इतिहास रहा है तो बच्चे में भी इसकी संभावना रहती है। इसके अलावा गर्भवती के धूम्रपान से भी यह दिक्कत हो सकती है। यह दिक्कत करीब 800 बच्चों में किसी एक में पायी जाती है । इसको ध्यान में रखते हुए आरबीएसके का प्रयास रहता है कि क्लबफुट की समस्या से किसी भी बच्चे का भविष्य प्रभावित न होने पाए। इसमें इलाज के लिए बच्चों की पहचान करने और उन्हें रेफर करने में फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आरबीएसके टीम के सदस्यों द्वारा किए गए प्रयास सराहनीय हैं। जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ, कास्टिंग टेक्नीशियन व अन्य अस्पताल कर्मी बच्चों का इलाज सुनिश्चित करने को हमेशा तत्पर रहते हैं। इसलिए बच्चों में ऐसी कोई विकृति नजर आये तो आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या आरबीएसके की टीम को अवश्य बताएं ताकि बच्चों का समय से इलाज कर उनकी दिक्कत को दूर किया जा सके। बच्चों में क्लबफुट के उपचार के लिए मिरेकलफीट ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-आरबीएसके के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है। मिरेकलफीट इण्डिया क्लबफुट से ग्रसित बच्चों के द्वारा की जाने वाली सालाना लगभग 30,000 विजिट का नि:शुल्क प्रबन्धन कर रही है।

बच्चे के पैर में 90 फीसद सुधार से दिनेश खुश
अलीगढ़ जनपद के अतरौली तहसील के गाँव भोजपुर निवासी दिनेश सिंह के घर सवा साल पहले पुत्र का जन्म हुआ, परिवार के सभी लोग खुश थे लेकिन कुछ ही वक्त बाद पता चला कि बच्चे के पंजे मुड़े हुए हैं। इसके बाद उन्हें बताया गया कि आरबीएसके के तहत बच्चे का मुफ्त इलाज हो सकता है। 15 दिन बाद ही डॉ. मलखान सिंह जिला अस्पताल में इलाज शुरू हुआ और अब उसका पैर 90 फीसद तक सही हो गया है। अब वह अपने पैरों पर आसानी से खड़ा हो जाता है और सहारे से चलने का प्रयास भी करता है। अब केवल उसकी उँगलियों में कुछ टेढ़ापन रह गया है। चिकित्सकों का कहना है कि कुछ समय में उनके बच्चे का पैर पूरी तरह से सही हो जायेगा और वह आम बच्चों की तरह चल और दौड़भाग सकेगा। दिनेश आरबीएसके के इस प्रयास की सराहना करते हुए आम लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी बताते हैं।

जन्म के एक महीने के भीतर शुरू किया जा सकता है इलाज
क्लबफुट से प्रभावित बच्चों का इलाज पोनसेटी पद्धति से किया जाता है। इसके तहत कास्टिंग, टेनोटॉमी और फिर ब्रेसिंग के दौर से बच्चे गुजरते हैं। इसके लिए जरूरी है कि ऐसे बच्चों की जल्द पहचान कर उपचार शुरू किया जाये। उपचार जन्म के एक महीने के भीतर भी शुरू हो सकता है। मिरेकलफीट चिकित्सा आपूर्ति निशुल्क रेडीमेड प्लास्टर ऑफ पेरिस उपलब्ध कराती है, इसके अलावा पूरे उपचार चक्र के दौरान अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सकीय मानकों पर तैयार विशेष प्रकार के ‘बार’ व जूते निशुल्क प्रदान करती है। इस तरह राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम और मिरेकलफीट इण्डिया के सहयोग और अथक प्रयास से हर साल क्लबफुट की समस्या से ग्रसित हजारों बच्चों को इस कार्यक्रम का लाभ मिल रहा है और वह सामान्य जिन्दगी जीने की ओर अग्रसर हैं।

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