
लोकल से ग्लोबल हुआ गुड़
गुड़ अपने स्वाद और सेहत के लिए फायदेमंद होने के कारण लोकल से ग्लोबल बन चुका है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा गुड़ उत्पादक और निर्यातक देश है, वैश्विक उत्पादन का लगभग 60% हिस्सा भारत में होता है। गुड़ उत्पादन में उत्तर प्रदेश का स्थान अग्रणी है। गुड़ के इस पूरे बदलते कारोबार के बारे में विस्तार से बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस।
एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल होने और तमाम सहूलियतें मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के गुड़ की मिठास देश-विदेश में सिर चढ़कर बोल रही है। इस बार के सीजन में बाजार में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बने हुए 100 से ज्यादा वैराइटी के गुड़ मौजूद हैं। परंपरागत तरीकों से होने वाले गुड़ का कारोबार अब पैकिंग, उत्पाद की गुणवत्ता से लेकर खरीद-बिक्री में भी हाईटेक हो गया है। उत्तर प्रदेश में बने गुड़ की सप्लाई यूक्रेन, इजराइल, जर्मनी, मलेशिया, कुवैत, सऊदी अरब, केन्या, इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया तक हो रही है। इसके अलावा यूएसए में भी निर्यात हो रहा है। गुड़ की आपूर्ति एनआईआर के जरिए हो रही है। गुड़ के स्लैब, गुड़ पाउडर, गुड़ चना और मसालेदार गुड़ भारत से निर्यात किए जाने वाले जैविक गुड़ की किस्मों में से हैं। प्रदेशभर में गुड़ के कारोबार की ओर बढ़ते रुझान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते चार सालों में इसका सालाना टर्नओवर करीब दोगुना बढ़ गया है। प्रदेश में इस बार सालाना 10000 करोड़ रुपये से ऊपर के गुड़ के कारोबार की उम्मीद है।
मंडी समिति के अधिकारियों का कहना है कि देश की सबसे बड़ी मुजफ्फरनगर की मंडी से सालाना 4500 करोड़ रुपये का कारोबार हो रहा है। प्रदेश में गुड़ के कारोबार में ही करीब 2.5 लाख लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिला है। इनमें खरीद-बिक्री करने वाले शामिल नहीं हैं। मंडी समिति के अधिकारियों का कहना है कि पश्चिम के मुजफ्फरनगर, हापुड़, शामली बागपत, मेरठ और अवध के सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहांपुर व बरेली जैसे गुड़ के पुराने उत्पादक जिलों के अलावा अब इसे प्रदेश के कई अन्य जिलों में बड़े पैमाने पर बनाया जाने लगा है। अयोध्या, सुल्तानपुर, गोंडा, बस्ती, अंबेडकरनगर और हरदोई जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर कोल्हू चलने लगे हैं। अयोध्या के गुड़ को तो योगी सरकार ने ओडीओपी में भी शामिल किया है।
अब गुड़ के स्वाद का चस्का विदेशियों को भी लग गया है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा गुड़ उत्पादक और निर्यातक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 60 फीसदी हिस्सा है। 2023-2024 में, भारत ने 516,746.10 मीट्रिक टन गुड़ का निर्यात किया, जिसका मूल्य 430.88 मिलियन डॉलर यानी 3570. 77 करोड़ था। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है और देश में होने वाले कुल गन्ना उत्पादन का 40 प्रतिशत यहां पैदा होता है। इसके उत्पादन के लिए आवश्क आदर्श स्थितियां यहां उपलब्ध हैं। अनुमान है कि यहां गन्ना उत्पादन का क्षेत्रफल 23.60 लाख हेक्टेयर है।
गुड़ एवं खांडसारी मर्चेंट एसोसिएशन के महासचिव, अनिल मिश्रा का कहना है कि बीते दो सालों गुड़ की कीमत में खास इजाफा नहीं हुआ है लेकिन मांग तेजी से बढ़ी है। इस सीजन में अच्छी क्वालिटी का नया गुड़ 40 से 45 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा जबकि सामान्य क्वालिटी का गुड़ 30 रुपये किलो भी मिल जा रहा है। उनका कहना है कि गुड़ में कई तरह के प्रयोग देखने को मिल रहे हैं और इसे आकर्षक पैकिंग में बाजार में उतारा जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में खांडसारी नीति में गुड़ निर्माण को प्रोत्साहन दिया गया है। नयी नीति के तहत 100 घंटे के भीतर खांडसारी इकाइयों को लाइसेंस देने की व्यवस्था की गयी है। प्रदेश सरकार की बहुप्रचारित योजना एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में गुड़ को शामिल किया गया है। अयोध्या सहित मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और मेरठ में गुड़ उत्पादन को प्रोत्साहन देने के साथ ही उनको बाजार दिलाने की कोशिश की गयी है। राजधानी की गुड़ मार्केट गणेशगंज के कारोबारी, राजेश मिश्रा का कहना है कि कोरोना संकट के दौरान गुड़ की मांग में तेजी से इजाफा होना शुरू हुआ था जो अब तक जारी है। पहले के मुकाबले अब गुड़ की ढेरों वैराइटी मौजूद हैं और नयी पीढ़ी इसे मिठाई के तौर पर खाना पसंद कर रही है। उनका कहना है कि मूंगफली, तिल, सोंठ, गोंड, बादाम व अन्य मेवों के साथ गुड़ को तैयार कर उसकी आकर्षक पैकिंग बाजार में उपलब्ध है जिसे हाथों-हाथ लिया जा रहा है। लखनऊ की ही रकाबगंज मूंगफल मंडी के कारोबारी, अजय त्रिवेदी का कहना है कि मंडी में इन दिनों गुड़ के उत्पादों की धूम है। इटावा, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद से आने वाली खालिस गुड़-मूंगफली की चिक्की से लेकर गजक तक सबसे ज्यादा मांग में है।

अनिल मिश्रा के मुताबिक देश में गुड़ के सबसे बड़े उत्पादक जिले मुजफ्फरनगर में 35000 कोल्हू सीजन के दिनों में चलते हैं जबकि सीतापुर-लखीमपुर जिले में 12000 कोल्हू चल रहे हैं। उनका कहना है कि प्रदेश भर में इस समय 70000 से ज्यादा कोल्हू चल रहे हैं जबकि चार साल पहले इनकी तादाद आधी भी नहीं थी। मिश्रा कहते हैं कि अब किसान घर पर गुड़ नहीं बनाते, बल्कि व्यवसायिक कोल्हू वाले को गन्ना देकर बनवाते हैं। इस बार भी सीजन के पहले ही कोल्हू वालों के यहां लाइन लगी हुई है। खपत के मामले में उनका कहना है कि दो साल पहले राजधानी में 400 कुंतल गुड़ की खपत रोज होती थी जो अब 600 कुंतल के पार चली गयी है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती मुख्य रूप से नगदी फ़सल के तौर पर की जाती है। यहां गन्ने की दो फ़सलें बोई जाती हैं – शीतकालीन और बसंतकालीन. गन्ने की खेती के लिए दोमट ज़मीन सबसे अच्छी मानी जाती है।
गुड़ कारोबारियों का कहना है कि बीते दो-तीन सालों में प्रदेश में गुड़ के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है। नयी खांडसारी नीति आयी है और ज्यादा तादाद में कोल्हू लग रहे हैं। उनका कहना है कि खांडसारी उद्योग को पिछली सरकारों ने बंद कर दिया था। साथ ही जो डाला वाली ट्रेलर ट्रकें उड़ीसा से कच्चा लोहा, उत्तराखंड व अन्य राज्यों से उत्तर प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र के लिए कच्चा माल लेकर आती थीं, वापसी में गुड़ और ‘राब’ ले जाती थीं। उत्तर प्रदेश के मोहाली इलाके में प्राकृतिक तरीके से गुड़ और राब बनाया जाता है। यहां गुड़ बनाने में केमिकल की जगह वन भिंडी का इस्तेमाल किया जाता है। इससे गुड़ का स्वाद और औषधीय गुण बढ़ जाते हैं। वर्तमान सरकार में खंडसारी यूनिट के साथ कोल्हू बड़ी तादाद में चलने लगे हैं तो एक बार फिर से बाहरी राज्यों से आने वाली ट्रकें गुड़ भर कर जाने लगी हैं।
गुड़ बेचकर कमा रहा लाखों रुपए
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले अवधेश मौर्या ने अपनी मां से ‘औषधीय गुड़’ बनाना सीखा और इसके बाद उन्होंने गुड़ का बिजनेस शुरू किया। आज ये बाजार में ‘औषधीय गुड़’ बेचकर लाखों रुपए कमा रहे हैं, साथ ही इन्होंने अपने गांव की महिलाओं को एक बड़ा रोजगार दिया है। अवधेश मौर्या के गुड़ की खासियत देखकर उनको मंत्रालय से ऑफर मिला, फिर वहां पर उनको मोदी जी ने आईडिया दिया कि वह नॉर्मल गुड़ में अलग-अलग चीजें डालकर कई वैरायटी के गुड़ लड्डू बनाएं। इसके बाद वह गुड़ में अदरक, इलायची, तिल सोंठ़, नारियल़, मूंगफली और अलसी डालकर अलग-अलग प्रकार के लड्डू बनाने लगे। उनके लड्डू सेहत से भरपूर होने के साथ खाने में अच्छे स्वाद देते हैं।
गुड़ है गुड हेल्थ के लिए
आयुर्वेद में गुड़ के कई फ़ायदे बताए गए हैं। गुड़ को वात- नाशक, मूत्रशोधक और धातुवर्धक माना जाता है। इसके अलावा गुड़ पाचन शक्ति बढ़ाता है और भोजन को सुपाच्य बनाता है। थोड़ा सा पुराना गुड़ खाने से रक्त शुद्ध होता है और गठियारोग में आराम मिलता है। इसे दूध में हल्दी के साथ मिलाकर पीने से शरीर का दर्द कम हो जाता है। साथ ही यह फेफड़ों को हेल्दी रखने में भी मदद करता है। गुड़ में डिटॉक्स करने के गुण भी कूट-कूट कर भरे हैं।