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भारत सरकार से कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए ‘वन प्लेस सेटलमेंट’ की मांग रखेगा ‘ग्लोबल कश्मीरी पंडित

नई दिल्ली। कश्मीरी पंडितों के ऊपर बनी ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। फिल्म को जितना पसंद किया जा रहा है उसी के साथ कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं। ऐसे में कश्मीरी पंडितों के संगठन ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा (जीकेपीडी) ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए सरकार के सामने एक बड़ी मांग उठाने की तैयारी कर ली है।

संगठन ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस फिल्म से जुड़े मुद्दों पर जवाब दिया और इसी बीच भारत में जीकेपीडी के कॉर्डिनेटर उत्पल कौल ने कहा कि, भारत सरकार से हमारा निवेदन है कि, ‘वन प्लेस सैटलमेंट’ होनी चाहिए। हम अब अपना एक शहर बनाएंगे, इसलिए हमने एक दस्तवाजे तैयार किया है। इसको लेकर हम टाउन प्लानरों से बात भी कर रहे हैं। पिछले 2 सालों से कई लोगों से मुलाकात कर यह जानकारी जुटाई है कि किस तरह कश्मीरी हिन्दू वापस जा सकते हैं।

कौल ने कहा, किस तरह उस शहर में यूनिवर्सिटी, कॉलेज बन सकते हैं, कैसे घर बनेंगे आदि। वहीं जो यह नया शहर होगा वह दुनिया के लिए उदाहरण बनेगा और वहां पर तिरंगा लहराएगा। हम उस धरती पर वापस जाना चाहते हैं। 10 लाख कश्मीरी पंडित है वह सभी अपने कश्मीर जाना चाहते हैं। हमें पता है किस तरह कश्मीर को हम जन्नत बनाएंगे।

सरकार और सभी राजनीतिक पार्टी कहती हैं कि अब सब कुछ ठीक होगा आप सभी अपने अपने घर जाएंगे। लेकिन हमारे लोगों के पास अब घर नहीं हैं। 20 हजार घरों को जला दिया गया है, कुछ घरों पर कब्जा किया गया है। हमारे पास घरों के एड्रेस तक नहीं हैं।

इसी को आगे बताते हुए जीकेपीडी के कोफाउंडर सुरेंद्र कौल ने कहा कि, 2 साल की मेहनत के बाद टाउन प्लानिंग के एक एक्सपर्ट टास्क फोर्स ने इस दस्तवाजे को तैयार किया है। हमारे समाज में इसपर चर्चा हुई, सभी ने अपनी बातों को रखा कि क्या-क्या होना चहिए। अब हम उस दस्तवाजे को सरकार के सामने रखेंगे।

इसको लेकर कई सारी नीतियों पर चर्चा हुई, इंडस्ट्रियल पॉलिसी को पढ़ा गया, पढ़ाई की पॉलिसी क्या है? इन सभी पर काम कर एक जगह को चिन्हित किया है। इसको तैयार करते वक्त किसी को कहीं से हटाया नहीं जाएगा। सैटेलाइट तस्वीर के जरिये हमने उसको चिन्हित किया है। अब सरकार के साथ बातचीत होगी।

संगठन की तरफ से कहा गया कि, इस फिल्म में सत्य घटना दिखाई गई है। किसी समाज के प्रति नफरत को बढ़ावा यह फिल्म नहीं दे रही है और न ही इसका यह उद्देश्य है। हमारे ऊपर जो गुजरा है उसका 5 फीसदी ही फिल्म में दिखाया गया है। वहीं देशभर से मिले प्यार पर अपना आभार व्यक्त किया है।

साथ ही जितने लोग इस घटना में मारे गए उनको न्याय दिलाने के लिए ज्यूडिशियल कमीशन बनाया जाना चाहिए और गुनहगारों को सजा मिलनी चाहिए। संगठन की ओर से यह भी साझा किया गया कि, इस फिल्म के लिए करीब 750 पीड़ितों को विवेक अग्निहोत्री जी से मिलवाया गया था। हमने उनसे इस फिल्म को बनाने की गुजारिश की थी।

फिल्म की फंडिंग को लेकर संगठन की ओर से साफ किया गया कि, जीकेपीडी ने सिर्फ लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया है, हमारा किसी विंग से कोई नाता नहीं, हम किसी पार्टी से नहीं जुड़े हैं। जो कुछ हमारे साथ हुआ उसे हम भूल नहीं सकते, हम ग्लोबल टेरेरिज्म के खिलाफ है क्योंकि वह बेहद खतरनाक है। ये मूवी सारे समाज को जोड़ती है।

“टेरेरिज्म 1988 से ही चालू हो गया था। मार्च 89 से हमारे समाज की टारगेट किलिंग हुई उस समय किसकी सरकार थी? हम ब्लेम गेम में नहीं पड़ना चाहते हैं। उस समय न फोन था, न इंटरनेट यह कहा जा रहा है कि यह जगमोहन के समय में हुआ लेकिन ये 1990 नहीं, उससे पहले से हो रहा था, 1988 के बाद से ही इसकी आग हनरे दरवाजे तक पहुंच गई थी।”

सुरेंद्र कॉल ने आगे कहा कि, इस फिल्म को हिंदू-मुस्लिम की नजर से न देखा जाए, फिल्म में हिंदू मुस्लिम का ध्रुवीकरण नहीं हो रहा। हम किसी समाज के खिलाफ नहीं है। यह फिल्म सिस्टम फेल्योर को दिखाती है। इतिहास का सच दुखदाई हो सकता है, इसका मतलब ये नहीं कि इतिहास पढ़ाना ही बंद कर दें।

हालांकि सगठन के ओर से इस बात का भी आभार व्यक्त किया गया कि कई राज्यों के मुख्यमंत्रीयों ने इस फिल्म पर टैक्स फ्री किया। उन्होंने अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रीयों से भी टैक्स फ्री करने को कहा है।

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