बकरी पालन से भी बन सकते है आत्मनिर्भर: डॉ. एसके वर्मा
बल्दीराय /सुलतानपुर: बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है,जिसे बड़ा, मध्यम,छोटा एवं भूमिहीन किसान कम लागत एवं कम स्थान में आसानी से कर सकते है। बकरियां हमें मांस, दूध, खाल एवं खाद प्रदान करती है। जिसे जब चाहे – जहां चाहे आसानी से बेचकर पैसा कमा सकते है। इसलिए बकरी को गरीबों का ए टी एम एवं गाय कहा जाता हैं।
कृषि विज्ञान केन्द्र बरासिन के अधीक्षक डॉ. एस.के. वर्मा ने बताया कि किसान बकरी पालन करके अपनी आमदनी का जरिया बना सकते है और आत्म निर्भर हों सकते है।कृषको को गांव में रहकर खेती के साथ एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है।
गौरा बरामऊ की महिला बकरी पालक बिलैता ने बताया कि मेरे पास कोई और व्यवसाय नहीं है मैं अपना खर्चा इन्हीं से चलाती हूँ। पशु वैज्ञानिक डां. डी.के.श्रीवास्तव ने प्रेस वार्ता में बताया कि बकरी पालकों को निम्नलिखित सुझावों पर अमल करना चाहिए।
- बकरियो का प्रजनन बरबरी, जमुनापारी एवं सिरोही दुकाजी नस्ल के बकरों से कराये।
- बकरें 8-10 माह की उम्र के बाद ही प्रजनन के योग्य होते हैं।
- देशी बकरियों का प्रजनन बरबरी, जमुनापारी एवं सिरोही नस्ल से उत्पन संकर बकरों से कराये।
- बकरा और बकरी के बीच नजदीकी सम्बन्ध न होने दे इसलिए इनको अलग- अलग रखना चाहिए।
- बकरियों को गर्म होने ( गर्मी में आने) के 10-13एवं 24-26घंटों के बीच दो बार पाल दिलावें।
- बच्चा देने के 30 दिनों के बाद ही गर्म होने ( गर्मी में आने) पर पाल दिलावें।
- गाभिन बकरियों को गर्भावस्था के अन्तिम डेढ़ महीने में चराने के अतिरिक्त कम से कम 200 ग्राम संतुलित दाना- मिश्रण अवश्य खिलाएं।
- बकरियों के आवास में प्रति बकरी 10-12 वर्गफीट का जगह दे तथा एक घर में एक साथ 20 बकरियों से ज्यादा न रखें।
- बच्चा जन्म के समय बकरियों को साफ- सुथरी जगह पर पुआल आदि पर रखें।
- नवजात बच्चे की नाभि को 3 इंच नीचे से नये ब्लेड से काट दें तथा डिटाल या टिन्चर आयोडीन दवा 3-4 दिनों तक लगाये।
- नवजात बच्चों के शरीर एवं नाक को तौलिए से साफ करें तथा बच्चों को मां का प्रथम दूध ( खींस) जन्म के 30मिनट के अंदर पिलाये।
- नर बच्चों का बंध्याकरण 2 माह की उम्र में कराये।
- बकरी घर को साफ- सुथरा एवं हवादार रखें तथा यदि संभव हो तो घर के अंदर मचान पर बकरी और बच्चों को रखें।
- बकरियों को चराई के साथ ही साथ 250-300 ग्राम संतुलित दाना- मिश्रण खिलाना चाहिए तथा ताजा एवं स्वच्छ पानी पिलाये।
- हरे- चारे के लिए मौसमी चारे जैसे:- बरसीम आदि की बुवाई करें ।
- बकरियों को कोमल पत्तियां खाना ज्यादा पसंद है, इसलिए पाकड़, पीपल, गूलर,सहजन,शू- बबूल आदि पौधों का रोपण करें।
- खनिजो की आपूर्ति हेतु 20 ग्राम खनिज लवण मिश्रण प्रति पशु प्रति दिन दें।
- बकरियों को पेट ( अन्त: परजीवी) एवं शरीर ( वाहृय परजीवी) के कीड़ों से बचाव की व्यवस्था करनी चाहिए।
- बकरियों को बरसात से पूर्व पी. पी. आर. रोग का टीका अवश्य लगवाये।
- नर का वजन 15किग्रा होने पर मांस हेतु व्यवहार में लाये तथा पाठा( खस्सी ) और पाठी की बिक्री 9-10 माह की उम्र में करना लाभप्रद होता है।
बकरी पालक उपरोक्त व्यवस्थाओं एवं कार्यों को करोना वायरस महामारी से बचाव के उपायों को अपनाते हुए ही सम्पन्न करें तथा अधिक जानकारी के लिए निकट के कृषि विज्ञान केन्द्र बरासिन से सम्पर्क करें।