Goodbye MiG-21! वायुसेना का ‘हीरो’ मिग-21 आज होगा रिटायर, जानें अब कौन सा फाइटर जेट संभालेगा जिम्मेदारी?

नई दिल्ली। देश का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 आज अपनी लंबी सेवा को अलविदा कह रहा है। छह दशक से ज्यादा समय तक भारतीय वायु सेना के आकाश में तैरता रहा यह विमान अब इतिहास का हिस्सा बन जाएगा। रिटायरमेंट का समारोह चंडीगढ़ में आयोजित किया जाएगा जिसमें वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह मिग-21 के प्रतिष्ठित बादल फॉर्मेशन का नेतृत्व करेंगे। मिग-21 का योगदान सिर्फ युद्ध कौशल तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि यह भारतीय वायु सेना की ताकत और आत्मविश्वास का प्रतीक भी रहा।
मिग-21 के जाने के बाद कौन संभालेगा जगह?
भारतीय वायु सेना (IAF) लंबे समय से अपने मिग-21 विमानों को रिटायर कर रही है। इसका मतलब यह है कि कुछ समय के लिए स्क्वाड्रन की संख्या अस्थायी रूप से कम हो जाएगी लेकिन चिंता की कोई बात नहीं क्योंकि देश का स्वदेशी तेजस विमान धीरे-धीरे मिग-21 की विरासत को संभाल रहा है। अब तक वायुसेना में तेजस के तहत 45 स्क्वाड्रन (फ्लाइंग डैगर्स) और 18 स्क्वाड्रन (फ्लाइंग बुलेट्स) तैनात हैं। जल्द ही तीसरा स्क्वाड्रन, कोबरा भी इसमें शामिल होगा।
कोबरा स्क्वाड्रन की नई तैनाती
कोबरा स्क्वाड्रन राजस्थान के एक प्रमुख एयरबेस पर तैनात किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य वायुसेना के पश्चिमी मोर्चे को मजबूत बनाना और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोबरा स्क्वाड्रन से भारत की ओपरेशनल तैयारी और वायु श्रेष्ठता में बढ़ोतरी होगी।
अगले महीने लॉन्च होगा तेजस Mk1A
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अगले महीने नासिक उत्पादन केंद्र से पहला तेजस Mk1A विमान लॉन्च करेगा। यह तेजस का उन्नत संस्करण होगा जिसमें बेहतर रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और आधुनिक लड़ाकू क्षमताएं शामिल हैं। तेजस Mk1A न केवल वायुसेना के बेड़े का आधुनिकीकरण करेगा बल्कि देश की आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा और विदेशी प्लेटफार्मों पर निर्भरता को कम करेगा।
मिग-21 का गौरवशाली इतिहास
मिग-21 को रूस ने 1950 के दशक में डिजाइन किया था और भारत ने इसे 1963 में अपने बेड़े में शामिल किया। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी असाधारण गति है यह ध्वनि की गति से भी तेज उड़ सकता है और मैक 2 तक पहुँच सकता है। मिग-21 ने कई जंगों में शानदार प्रदर्शन किया है और 2019 में पाकिस्तानी F-16 विमान को भी धराशायी किया था। यह विमान भारतीय वायु सेना की शक्ति और साहस का सजीव उदाहरण रहा है।



