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Google Pay यूजर्स को लगा तगड़ा झटका, अब इतने प्रतिशत तक देने पड़ेंगे एक्स्ट्रा चार्ज

नई दिल्ली: अगर आप भी ऑनलाइन पेमेंट के लिए Google Pay का इस्तेमाल करते हैं, तो यह खबर आपके लिए ही हैं। हाल ही में गूगल पे ने अपने नियम में बदलाव किया है। अब अगर आप क्रेडिट या डेबिट कार्ड से बिजली, गैस जैसे बिल का भुगतान करते हैं, तो आपको ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे। मतलब, अब गूगल पे से बिल पेमेंट करने पर आपकी जेब पर भारी असर पड़ने वाला है।

क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट पर देना होगा एक्स्ट्रा चार्ज
गूगल पे की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, कंपनी ने बिल की रकम का 0.5% से 1% तक एक्स्ट्रा चार्ज लेना शुरू कर दिया है, और इस पर जीएसटी भी लगेगा। लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर आप यूपीआई (UPI) से जुड़े बैंक खाते से पेमेंट करते हैं, तो आपको कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होगा। इससे उन लोगों पर ज्यादा असर पड़ेगा जो अपना ज्यादातर बिल का भुगतान क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के जरिए करते हैं।

यूपीआई पेमेंट से कंपनियां चाहती हैं ज्यादा फायदा
डिजिटल पेमेंट कंपनियों के लिए बढ़ती लागत और मुनाफे की कोशिश एक सामान्य बात बन चुकी है। कंपनियां चाहती हैं कि यूपीआई पेमेंट्स से उन्हें ज्यादा फायदा हो। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका उद्देश्य डिजिटल पेमेंट्स के बढ़ते उपयोग के बीच कंपनियों का व्यापार सही तरीके से चलाना है। उदाहरण के तौर पर, गूगल पे का यूपीआई बाजार में लगभग 37% हिस्सेदारी है और इसने जनवरी 2025 में 8.26 ट्रिलियन रुपये का लेन-देन किया, जो सिर्फ फोनपे से पीछे है।

फोनपे और पेटीएम जैसी कंपनियां भी यूपीआई पेमेंट्स पर लगा रही एक्स्ट्रा चार्ज
इसके अलावा, फोनपे और पेटीएम जैसी कंपनियां भी यूपीआई पेमेंट्स पर अतिरिक्त शुल्क लगा रही हैं। फोनपे पानी और गैस बिलों के भुगतान पर कार्ड से पेमेंट करने पर चार्ज लेता है, जबकि पेटीएम यूपीआई रिचार्ज और बिल पेमेंट्स पर 1 रुपये से लेकर 40 रुपये तक का प्लेटफॉर्म चार्ज वसूलता है।

यूपीआई लेन-देन की लागत पर आता है ज्यादा खर्च
यूपीआई लेन-देन की लागत को लेकर कंपनियों को काफी खर्चा आता है। 2024 में यूपीआई लेन-देन पर कुल खर्च लगभग 12,000 करोड़ रुपये था, जिसमें छोटे लेन-देन (2,000 रुपये से कम) पर 4,000 करोड़ रुपये का खर्च था। डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने 2020 से 2,000 रुपये से कम के यूपीआई लेन-देन पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाने का निर्देश दिया था, जबकि 2,000 रुपये से अधिक के लेन-देन पर 1.1% का मर्चेंट चार्ज है।

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