जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में अब सरकारी कर्मचारियों को पुलिस और आईडी वेरिफिकेशन के साथ ही एन्टी करप्शन ब्यूरो की रिपोर्ट भी पासपोर्ट हासिल करने के लिए जरूरी होगी. जम्मू-कश्मीर सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है जिसके मुताबिक, सरकारी कर्मचारियों को पासपोर्ट हासिल करने में अब एन्टी करप्शन ब्यूरो (ACB) की भी क्लीयरेंस रिपोर्ट को जरूरी करार दिया गया है. जिसके बाद उन सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को पासपोर्ट नहीं मिल सकेगा जिनके खिलाफ रिश्वत या प्रशासनिक गड़बड़ी के चलते ACB में मामला दर्ज है.
घाटी में सरकारी कर्मी इसको एक सही कदम मान रहे हैं और उनके अनुसार सर्विस के दौरान प्रमोशन के लिए भी तरह-तरह की क्लीयरेंस रिपोर्ट जरूरी होती है. ऐसे में इस आदेश में ऐसा कुछ भी नहीं है जो सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ हो. एम्प्लॉइज जॉइंट एक्शन कमिटी के अध्यक्ष शबनम फैयाज के अनुसार वह सरकार के ऐसे हर प्रयास का स्वागत करते हैं जिसमें सरकार की मंशा रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को रोकने की हो. शबनम फैयाज के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के किसी भी मामले को लेकर राजनीति करने की जरूरत है क्योंकि उनकी नेतृत्व अब मजबूत हाथों में हैं.
वहीं दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में सरकार के इस आदेश को जारी करने के बाद तमाम राजनीतिक दलों ने सरकार की आलोचना करनी शुरू कर दी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जहां इस आदेश की तानाशाही से तुलना की, वहीं सीपीआईएम ने इसको सरकारी कर्मचारियों पर एक अतिरिक्त बोझ जैसा बताया है. दरअसल, जम्मू कश्मीर सरकार ने पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले अपने कर्मचारियों के लिए विजिलेंस डिपार्टमेंट की मंजूरी अनिवार्य कर दी है. यह सरकारी कर्मचारियों के लिए पासपोर्ट आवेदन के लिए आवश्यक विभागीय मंजूरी और एनओसी के अतिरिक्त होगा.
यह आदेश ऐसी रिपोर्ट के बाद आया जिन में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के केस के कई आरोपियों के देश से बाहर जाने की बात सामने आई थी. ACB की तरफ से प्रशासन से अपील की गई थी कि उन सरकारी कर्मचारियों के नाम पासपोर्ट जारी ना किए जाएं जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच चल रही है. अगर वे आवेदन करते हैं तो एसीबी से एनओसी लेना अनिवार्य किया जाए.