स्तम्भ

गरीबों को किराए पर सरकारी आवास-सम्मानजनक जिंदगी के लिए ‘मील का पत्थर’

संजय सक्सेना

संजय सक्सेना : गांव-देहात या फिर छोटे-छोटे शहरों से रोजी-रोटी की तलाश में या फिर जिंदगी के अपने सपने पूरे करने के लिए बड़े शहरों की तरफ रूख करने वाले लाखों युवाओं के लिए अंजाम शहर में एक आशियाना तलाशना ‘सीप से मोती’ निकालने से कम नहीं रहता है। ऐसे युवाओं की आमदानी कम होती है तो बड़े शहरों में आमसान छूता किराया और उस पर मकान मालिकों की तरह-तरह की ‘बंदिशें’ किसी अभिशाप से कम नहीं होती है। इसी के चलते कई युवा घर वापसी को मजबूर हो जाते हैं,इन युवाओं की क्षमता का पूरा फायदा देश को नहीं मिल पाता है। ऐसे जुझारू लोगोें के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की अति महत्वाकांक्षी गरीबों को कम कीमत पर किराए पर मकान देने की योजना मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। योगी सरकार ने अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम का ऐलान किया है। यह स्कीम प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लाई गई है। केंद्र सरकार ने बजट 2021 में प्रधानमंत्री आवास योजना-हाउसिंग फॉर ऑल के तहत अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स योजना का ऐलान किया था। इस योजना से उन लाखों लोगों की उड़ान को पंख मिल सकते हैं जो जिंदगी को तराशने के लिए घर-बार सब छोड़कर बड़े शहरों में आते हैं।

दरअसल, योगी सरकार ने पीएम की इच्छानुसार ही प्रवासी मजदूरों, शहरी गरीबों व विधावओं को कम कीमत पर किराए के मकान उपलब्ध कराने का मन बनाया है। योगी सरकार की मंशा यही है कि अफोर्डेबल हाउसिंग के तहत बने जो मकान ग्राहक नहीं मिलने के कारण किसी को आवंटित नहीं हुए हैं तो उन्हें जरूरतमंदों को किराए पर दे दिया जाए। इससे विकास प्राधिकरणों की माली हालत भी सुधरेगी और आसमान छूते किराए के मकानों की कीमत में भी कमी आएगी। इससे उन ‘माफियाओं’ की कमर टूट जाएगी,जिन्होंने किराए पर मकान उठाने को अपना पेशा बना लिया है। इससे मोदी कमाई होती है।

बहरहाल, बात की किराए के मकान योजना की कि जाए तो किराए पर दिये जाने वाले मकानों का किराया लोेेकेशन यानी क्षेत्र और मकान की हालत के आधार पर तय किया जाएगा। हर दो साल में आठ फीसदी की दर से किराया बढ़ाया जाएगा। पहले 25 साल के लिए मकान किराए पर देने का अनुबंध किया जाएगा। योगी आदित्यनाथ सरकार ने गत दिनों ही किफायती रेंटल आवास एवं काम्लेक्स योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना को दो माॅडल में लागू किया जाएगा। पहले माॅडल के अनुसार अफोर्डेबल हाउसिंग योजना के तहत विभिन्न योजना के तहत आवंटित मकानों को किराए पर दिया जाएगा। दूसरे माॅडल में बिल्डरों से आवास बनवाकर किराए पर दिया जाएगा। बिल्डर अपनी जमीन पर किफायती रेंटल आवास के तहत आवास बनाकर यदि किराए पर देते हैं तो उन्हें सरकार फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) और जीएसटी समेत कई अन्य तरह की छूट प्रदान करेगी। इसके लिए अलग से दिशा-निर्देश सरकार जारी करेगी। परियोजनाओं को विकसित करने के लिए प्रस्ताव स्थानीय निकाय द्वारा आवास बंधु को उपलब्ध कराया जाएगा। आवास बंधु तकनीक परीक्षण करने के बाद प्रस्ताव केंद्र व राज्य सरकार की स्वीकृति के लिए नोडल विभाग सूडा के पास भेजेगा।

दरअसल, योगी सरकार कोरोना काल में वापस लौटे प्रवासी मजदूरी को अब प्रदेश में काम करने के दौरान शहरी इलाकों में सस्ते आवास मुहैया कराने जा रही है। इसके लिए इस योजना को मंजूरी दी गई है।राजधानी की चक गंजरिया सिटी में बनाये जा रहे डाॅ. राम मनोहर लोहिया राज्य प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी के नए परिसर के निर्माण की पुनरीक्षित लागत को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। गौरतलब है चक गंजरिया सिटी में यह परिसर 22.5 एकड़ जमीन पर विकसित किया जा रहा है। निर्धारित किराए में प्रत्येक दो साल में अधिकतम आठ फीसदी की वृद्धि की जाएगी। हर साल चार फीसदी और पांच साल अधिकतम 20 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ेगा।

गरीबों को किराए पर सरकारी आवास-सम्मानजनक जिंदगी के लिए ‘मील का पत्थर’

इस योजना का फायदा प्रवासी एवं गरीबा मजदूर, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निम्न आय वर्ग फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर, शिक्षण संस्थाओं, सत्कार कार्यों से जुड़े लोग, पर्यटक एवं छात्र उठा सकेंगे। एससी, एसटी एवं पिछड़ा वर्ग, विधवाओं और कामकाजी महिलाओं, दिव्यांगों व अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों को वरीयता दी जाएगी। इसमें सरकार ने गरीब विधवाओं को भी शामिल कर लिया है, यानी उन्हें भी सरकार सस्ते किराए पर मकान मुहैया कराएगी। अगर योगी सरकार की यह योजना सफल हो जाती है तो इससे उन तमाम लोगों को मोटा किराया देने से मुक्ति मिल जाएगी जिसको वहन करना उनके लिए काफी मुश्किल रहता है।

गौरतलब हो उक्त तरह के किराए के आवासों वाली स्कीम की जरूरत लाॅक डाउन के समय महसूस की गई थी। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या यही आई थी कि उनका रोजगार चला गया था और घर किराया भी ज्यादा था। ऐसे में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गरीब मजदूरों के लिए एक अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम का ऐलान किया था। यह स्कीम प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लाई गई है। इसी स्कीम के तहत सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों के किराए पर रहने के लिए घर बनवा रही है। यहां उनसे काफी कम किराया वसूला जाएगा और साथ में तमाम मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, इंडस्ट्रीज और इंस्टिट्यूशन्स को ऐसे अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए इन्सेंटिव देगी। वे इसे अपने निजी जमीन पर भी बना सकते है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम उन नेताओं के मुंह पर तमाचा है जो मोदी सरकार को उद्योगपतियों की सरकार बताते घूमते रहते हैं। पिछले 73 वर्षो में किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया,जबकि अंजान शहर में किराए का मकान तलाशना हमेशा टेड़ी खीर ही साबित होता रहता था। इसके अलावा अक्सर किराएदार ऐसे मकान मालिकों के चंगुल मंें फंस जाते तो जो आपराधिक प्रवृति के होते थे या फिर उनकी नियत में खोट रहती थी,इसके चलते किरायेदार के परिवार के सम्मान और इज्जत पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। इस तरह की कई वारदातें पुलिस रिकार्ड मे दर्ज भी हैं। गरीबों को सरकारी मकान किराए पर मिले इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता है,लेकिन सरकार को इस ओर भी ध्यान रखना होगा कि यह योजना भी अन्य तमाम योजनाओं की तरह सरकारी कर्मचारियों के लिए कमाई और दलालों के लिए धन उगाही का जरिया न बन जाए। कुल मिलाकर फिलहाल तो यही लगता है कि योगी सरकार की गरीबों को किराए पर सरकारी आवास योजना तमाम ऐसे लोगों के सम्मानजनक जिंदगी के लिए ‘मील का पत्थर’ साबित हो सकती हैं जिनके पास बड़े शहरों में अपनी छत नही है।

(यह लेखक के स्वत़त्र विचार है)

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