देहरादून : तीन राज्यों में उच्च हिमालयी झीलों की पारिस्थितिकी पर शोध देश के पांच संस्थानों के विशेषज्ञ (expert) करेंगे. इस शोध में जलवायु परिवर्तन के साथ ही मौसम (Weather) के बदलावों पर अध्ययन होगा. तीन सालों के अध्ययन में 9 करोड़ रुपये खर्च होगें.
हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु प्रदूषण से ग्लेशियर पिघल रहे हैं. बारिश, बर्फबारी, गर्मी और सर्दी का भी चक्र बदल रहा है. इसका असर तेजी से उच्च हिमालय पर पड़ रहा है. त्सोंगमो.. हंसपोखरी सिक्किम में, त्सो मोरीरी… संगेस्तर अरुणांचल में और उत्तराखंड के चमोली जिले के भेंकल झील की पारिस्थितिकी पर तीन सालों तक शोध होगा. जलवायु परिवर्तन का इन झीलों पर कितना असर पड़ रहा है… इस पर जीबी पंत संस्थान ने अन्य सहयोगियों के साथ कार्य शुरु कर दिया है.
शोध में जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान, एसएसजे यूनिवर्सीटी, आईआईटी खड़गपुर. सिक्किम यूनिवर्सीटी और जीआईएस अरुणाचल मिलकर तीन सालों तक शोध करेंगे. इस शोध में 9 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें 27 लाख की पहली किस्त जारी हो चुकी हैं, जिससे शोध शुरु हो चुका है.
जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा असर हिमालय पर पड़ा है. जहां समय से बर्फबारी नहीं हो रही है. हिमालय में साल-दर-साल बर्फ के पहाड़ पीछे खिसक रहे हैं. अब देखना होगा कि इन संस्थानों का अध्ययन क्या होता है और इसके बाद क्या पहल होगी, लेकिन सर्दियों में धूं-धूं कर जंगल जलना और पानी के स्रोत सूख जाना जैसे विषय बड़ी चिंता कि बात है.