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जो की पुरानी पेंशन बहाली की मांग, दिल्ली में रैली से पहले केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार ने दी चेतावनी

नई दिल्ली : पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर देशभर के सरकारी कर्मचारी (केंद्रीय और राज्य कर्मी) आज (गुरुवार, 10 अगस्त को) दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली करने जा रहे हैं। उससे एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने बुधवार को सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की मांग को लेकर किसी भी रैली में भाग लेने के खिलाफ चेतावनी दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है, “विरोध सहित किसी भी रूप में हड़ताल पर जाने वाले किसी भी कर्मचारी को अंजाम भुगतना होगा, इसमें वेतन कटौती के अलावा अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।” बता दें कि 1 मार्च 2022 तक केंद्र सरकार के कर्मचारियों की संख्या 30.13 लाख थी। 31 जनवरी तक, एनपीएस के तहत 23,65,693 केंद्र सरकार के कर्मचारी और 60,32,768 राज्य सरकार के कर्मचारी नामांकित थे।

‘पेंशन अधिकार महारैली’ नामक कार्यक्रम का आयोजन ज्वाइंट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम (जेएफआरओपीएस)/नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के तत्वावधान में किया है। इसमें ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे मैन (एनएफआइआर) के सदस्य शामिल हैं। दोनों यूनियन ने दावा किया है कि महारैली में एक लाख से अधिक लोग पहुंचेंगे। यूनियन के नेताओं ने कहा है कि सरकार ने अगर तब भी बात नहीं सुनी तो बड़े स्तर पर हर मंडल और जोन में रेलवे कर्मचारी विरोध-प्रदर्शन कर केंद्र सरकार से अपनी मांग करेंगे।

ओपीएस की बहाली एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है। एनपीएस एक अंशदायी पेंशन योजना है जिसमें सरकार का समान योगदान होता है और यह बाजार से जुड़ी होती है, जबकि ओपीएस सेवानिवृत्ति के बाद जीवन भर आय का आश्वासन देता है, जो आमतौर पर अंतिम आहरित वेतन के 50% के बराबर होती है। 2004 में सेवा में शामिल होने वाले सरकारी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से एनपीएस में नामांकित किया गया था।

डीओपीटी ने अपने आदेश में कहा है कि एसोसिएशन बनाने के अधिकार में हड़ताल करने का कोई गारंटीशुदा अधिकार शामिल नहीं है। कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का अधिकार देने वाला कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई फैसलों में इस बात पर सहमति जताई है कि आचरण नियमों के तहत हड़ताल पर जाना एक गंभीर कदाचार है और सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए गए कदाचार से कानून के अनुसार निपटना आवश्यक है।

डीओपीटी ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक संयुक्त परामर्शदात्री मशीनरी पहले से ही सरकार और उसके कर्मचारियों के सामान्य निकाय के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काम कर रही है। 2008 में जारी किए गए निर्देशों के एक सेट में कहा गया है, “सरकारी कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की हड़ताल में भाग लेने से रोकें, जिसमें सामूहिक आकस्मिक अवकाश,या किसी भी प्रकार की हड़ताल को बढ़ावा देने वाली कोई भी कार्रवाई शामिल है।”

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