राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने इंदौर में स्थापित बायो-सीएनजी प्लांट की सराहना की
भोपाल: राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने आज इंदौर प्रवास के दौरान यहाँ स्थापित एशिया के सबसे बड़े तथा अनूठे बायो-सीएनजी प्लांट का अवलोकन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकार्पित इस प्लांट की उन्होंने मुक्तकंठ से सराहना की और कहा कि यह प्लांट कूड़े-कचरे के व्यवस्थित निपटान तथा मूल्य-संवर्धन का बेहतर उदाहरण है। यह प्लांट “वेस्ट टू वेल्थ” के संकल्प को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल देवगुराड़िया रोड स्थित ट्रेचिंग ग्राउण्ड पहुँचे और बायो-सीएनजी प्लांट का अवलोकन किया। इस दौरान कलेक्टर मनीष सिंह तथा नगर निगम आयुक्त सुप्रतिभा पाल उनके साथ थीं। उन्होंने नगर निगम द्वारा पीपीपी मॉडल पर स्थापित बायो-सीएनजी प्लांट की कार्यप्रणाली को देखा। वे प्लांट के कन्ट्रोल रूम भी पहुँचे, यहाँ उन्होंने कचरे से सीएनजी बनाये जाने की प्रक्रिया समझी। उन्होंने कचरे को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को भी देखा। साथ ही वे बायो रेमेडाइज्ड ग्रीन बेल्ट में ट्रीटेड वेस्ट वॉटर के उपयोग से लहलहा रहे वृक्षों के बीच भी पहुँचे। यहाँ उन्होंने बैठकर प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लिया। राज्यपाल पटेल ने इस प्रयासों की सराहना की और कहा कि अनुपयोगी जल का किस तरह बेहतर उपयोग किया जा सकता है, यह सीख इस उद्यान से ली जा सकती है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने राज्यपाल मंगुभाई पटेल को इस प्लांट के बारे में जानकारी दी और बताया कि यह प्लांट 550 टन प्रतिदिन क्षमता का है। यह गीले कचरे को पूरी तरह उपचारित करने में सक्षम है। शहरी गीले कचरे का प्र-संस्करण करने वाला एशिया का सबसे बड़ा प्लांट है। इस प्लांट ने अपना कार्य प्रारंभ कर दिया है। इस प्लांट को 15 माह के रेकार्ड समय में पूरा किया गया है। यह समयबद्ध कुशल परियोजना क्रियान्वयन का एक बेहतर उदाहरण है। इस प्लांट से जहाँ एक ओर बायो सीएनजी मिलेगी, वहीं दूसरी ओर कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी होगी, साथ ही उर्वरक के रूप में जैविक खाद एवं हरित ऊर्जा आदि कई पर्यावरणीय लाभ मिलने की उम्मीद है।
नगर निगम आयुक्त सुप्रतिभा पाल ने राज्यपाल पटेल को परियोजना क्रियान्वयन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि पीपीपी मॉडल का यह बेहतर उदाहरण है। नगर निगम द्वारा इस प्लांट के लिये जमीन दी गयी है। प्लांट में डेढ़ सौ करोड़ रूपये का निवेश संचालनकर्ता एजेंसी द्वारा किया गया है। इससे नगर निगम को ढ़ाई करोड़ रुपये प्रति वर्ष की रायल्टी मिलेगी और रिआयती दरों पर सिटी बसों के संचालन के लिये बायो सीएनजी प्राप्त होगी। प्लांट से जैविक खाद भी प्राप्त होगी। “वेस्ट टू वेल्थ” तथा स्वच्छ भारत मिशन की दिशा में यह बड़ा कदम है।