श्रीनगर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में अलगाववादी राजनीति के विरुद्ध एक अनूठी सोशल एंड डेवेलपमेंट इंजीनियरिंग वाली राजनीति से मुकाबला शुरू किया है और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इसका ताना-बाना बहुत खामोशी और उतनी ही बारीकी से बिछा रहे हैं। इस ताने-बाने में सामाजिक आर्थिक विकास के साथ ही भ्रष्टाचार पर कठोर प्रहार शामिल है।
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करीब ढाई महीने पहले इस केन्द्र शासित प्रदेश की कमान संभालने वाले श्री सिन्हा ने अपनी राजनीतिक पहल का फोकस बनाया है कश्मीरी युवाओं को जिनके लिए जम्मू कश्मीर खास कर कश्मीर घाटी में खेलकूद का बेहतरीन और देश का सबसे उम्दा खेलों की ढांचागत सुविधाएं खड़ी की जा रही है। क्रिकेट, फुटबाल, हाकी, रग्बी के आउटडोर खेलों के साथ इनडोर गेम्स, वाटर स्पोर्ट्स, बर्फ में खेले जाने वाले विंटर गेम्स के क्षेत्र में जम्मू कश्मीर आने वाले दिनों में ना केवल देश बल्कि दुनिया का अहम केन्द्र होगा।
केन्द्र शासित प्रदेश में तेजी से सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का उपयोग करने में जम्मू कश्मीर पूरे देश में अव्वल है। कारगिल से लेह को जोड़ने वाली सड़क पर देश की सबसे लंबी 14 किलोमीटर की जोजीला सुरंग का निर्माण शुरू हो चुका है। बैक टू विलेज, तहसील दिवस और माई टाउन माई प्राइड यानी मेरा कस्बा मेरा गौरव अभियानों ने हर जिले में प्रशासन को सक्रिय किया है और लोगों में बेहतरीन जनजीवन की आस जगायी है। राजभवन ने जनशिकायत निवारण केन्द्र खोला है। प्रशासन के कार्यों में भ्रष्टाचार दूर करने के लिए हर स्तर पारदर्शिता एवं जवाबदेही तय की जा रही है।
सेना द्वारा मुठभेड़ में मारे गये राजौरी के तीन युवकों के घर उपराज्यपाल का चार किलोमीटर पैदल चल कर जाना और न्याय का भरोसा दिलाना स्थानीय आबादी के टूटे मन पर मरहम जैसा रहा। श्री सिन्हा ने यूनीवार्ता से विशेष मुलाकात में कहा कि राजभवन के दरवाजे जनता के लिए खुले हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार के दो हेलीकॉप्टरों को आपात स्थिति में जनता की सेवा के लिए उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। सभी जिलों में रविवार और बुधवार को छोड़ कर सुबह साढ़े दस बजे से साढ़े ग्यारह बजे तक जिला उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक को आम जनता से मिलने का निर्देश दिया गया है। इसी तरह मंडल आयुक्त और पुलिस महानिरीक्षक सप्ताह में दो दिन जनता से मिलेंगे।
बैक टू विलेज कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि इस कार्यक्रम के दो चरणों में ढांचागत सुविधाओं पर फोकस रहा जिससे ज़मीनी स्थिति में बहुत फर्क नहीं आया लेकिन तीसरे चरण में सामाजिक सुरक्षा पर जोर दिया गया और 21 दिन तक चले इस अभियान में सभी जिलों को 100 प्रतिशत का लक्ष्य दिया गया जिस पर अधिकतर जिलों में 80 से 90 प्रतिशत तक काम हुआ। जो जिले पिछड़े, उनमें 70 प्रतिशत तक लक्ष्य पूरा हुआ। केंद्र शासित प्रदेश में तहसील दिवस मनाया गया जिसमें जिला उपायुक्त ने पेंशन आदि प्रमाणपत्रों का वितरण किया। इससे फर्क नज़र आया है।
गांवों में पंचायतों के माध्यम से विकास को गति देने के बारे में श्री सिन्हा बताते हैं कि उन्होंने गांवों में विकास के लिए पुख्ता इंतजाम किया है। उन्होंने कहा कि बैक टू विलेज कार्यक्रम में हर गांव में दस लाख रुपए आवंटित किये गये। वित्त आयोग और मनरेगा के तहत अतिरिक्त आवंटन किया गया। इस प्रकार से हर पंचायत को 50 लाख रुपए से 1.25 करोड़ रुपए दिये गये। पंच सरपंच को काम तय करने का अधिकार दिया गया है। तीन लाख रुपए तक का काम बिना टेंडर के करने की अनुमति दी गयी है। हर पंचायत को 20 हजार रुपए की खेल किट दी गयी है जिसमें क्रिकेट, फुटबाल, बेडमिंटन, कैरम, शतरंज, टेबल टेनिस, वालीबॉल, बास्केटबाल आदि की सामग्री शामिल है।
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