नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सियासी संकट को लेकर सुनवाई 9 दिनों तक चली। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पीठ इस नतीज पर पहुंच भी जाती है कि उद्धव ठाकरो को फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल की गलती थी, इसके बावजूद कोर्ट महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार को बहाल नहीं कर सकती है। आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के 40 विधायकों ने बगावत कर दी थी। इसके बाद गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने तत्कालीन एमवीए सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा था।
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी जब इस केस में समापन दलील पेश कर रहे थे तो पीठ ने पूछा, ”अगर दोनों पक्ष की दलीलों और कागजातों की पड़ताल पर हम यह पाते हैं कि गवर्नर कोश्यारी के द्वारा 30 जून को बहुमत साबित करने के लिए कहना सही नहीं था, तो उद्धव ठाकरे को क्या राहत मिलनी चाहिए?” इस पर सिंघवी ने बिना मौका गंवाए कहा कि इस स्थिति में यह राहत देनी चाहिए कि तत्कालीन महा विकास अघाड़ी की सरकार को बहाल कर दिया जाए। इसपर बेंच ने कहा, ‘हम ऐसी सरकार को फिर से कैसे बहाल कर सकते हैं, जिसने खुद की फ्लोर टेस्ट में शामिल हुए बिना इस्तीफा दे दिया?”
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुरक्षित हुए कहा, ”यदि आपने विश्वास मत का सामना किया होता और यह साबित होता कि राज्यपाल का निर्णय संवैधिक नहीं था तो हम विश्वास मत को रद्द कर सकते थे। लेकिन आप तो विश्वास मत का सामना नहीं करना चाहते थे। यदि हम आपकी सरकार को बहाल करते हैं तो यह संवैधानिक पहेली को जन्म देगा।”
इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बुधवार को तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा शिवसेना के भीतर एक गुट को पार्टी के रूप में मान्यता देने के निर्णय को चुनौती दी। उन्होंने कोश्यारी द्वारा पूछे गए महत्वपूर्ण सवालों का हवाला दिया। सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को विश्वास मत के लिए राज्यपाल के असंवैधानिक कदमों को खत्म करके लोकतंत्र को बचाने के लिए निर्णायक कदम उठाना चाहिए। एक चुनी हुई सरकार को गिराया गया और एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी गई।
इससे पहले राज्य की राजनीति में राज्यपालों द्वारा निभाई जा रही सक्रिय भूमिका पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यह बहुत ही निराशाजनक है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल चुनी हुई सरकारों को गिराने के लिए राजनीतिक प्रक्रियाओं का हिस्सा बन रहे हैं।