नगांव/दिसपुर : जंगली हाथियों और मनुष्य के बीच राज्य में आए दिन संघर्ष की घटनाएं देखने को मिलती है। हाथी मुख्यतः घने जंगलों से भोजन की तलाश में रिहायसी इलाकों में पहुंचकर काफी नुकसान पहुंचाते हैं। जंगली हाथी द्वारा किए गए हमले में असम के विभिन्न जिलों में हर वर्ष कई लोगों की मौत हो जाती है।
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मनुष्य और हाथियों के बीच होने वाले संघर्ष को देखते हुए नगांव और कार्बी आंग्लांग जिला के सीमावर्ती इलाका हाथीखली रंगहांग गांव में जंगली हाथियों के उपद्रव से बचने के लिए हाथीबंधु नामक एक गैर सरकारी संगठन द्वारा 600 बीघा में धान, गागर नींबू, नेपियर घास, कुंभी आदि लगाया गया है।
पिछले वर्ष भी हाथीबंधु नामक संगठन द्वारा 200 बीघा में जंगली हाथी के लिए धान सहित अन्य फसल लगाया गया था। पिछले वर्ष लगाए गए धान सहित अन्य फसल को खाकर जंगली हाथी वहीं से लौट गए, जिसके चलते रिहायशी इलाकों में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ था। इसको देखते हुए इस बार 600 बीघे भूमि पर धान सहित अन्य फसल जंगली हाथियों के लिए लगाया गया है।
गुवाहाटी के वरिष्ठ नागरिक प्रदीप भुइंया और सापानाला के प्रकृति प्रेमी युवक विनोद दलै और उनकी पत्नी मेघना मयूर हजारिका के प्रयास के बाद इस बार हाथीबंधु संगठन द्वारा 600 बीघा भूमि पर जंगली हाथियों के लिए फसल लगाया गया है।
गैर सरकारी संगठन हाथीबंधु के कार्यकर्ताओं ने कहा कि जंगली हाथी भोजन की तलाश में हर वर्ष असम के विभिन्न जिलों के रिहायशी इलाके में आते हैं। जिसके कारण मनुष्य और जंगली हाथियों के बीच आमना सामना होता है। कई लोगों को अफनी जान भी गंवानी पड़ती है। अगर जंगली हाथियों के लिए जंगल और इसके आसपास के इलाके में ही खाने पीने की व्यवस्था कर दिया जाए तो जंगली हाथी रिहायशी इलाके में नहीं आएंगे।
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