उत्तराखंड

बाहरी वाहनों को उत्तराखंड में देना होगा ‘ग्रीन सेस’

देहरादून (गौरव ममगाईं)। अब उत्तराखंड में आने वाले अन्य राज्यों के कॉमर्शियल वाहनों को ग्रीन सेस देना होगा। उत्तराखंड की धामी सरकार राज्य के जलवायु एवं पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की दिशा में यह बड़ा कदम उठाने जा रही है। इससे राज्य को करीब 100 करोड़ से ज्यादा सालाना राजस्व मिलने की उम्मीद है, जिसका प्रयोग उत्तराखंड में पर्यावरणीय संरक्षण में होगा।

 उत्तराखंड परिवहन विभाग की ओर से इस दिशा में कवायद शुरू की जा चुकी है। विभाग इसे जल्द लागू करने की तैयारी में है। कॉमर्शियल वाहनों की कैटेगरी के आधार पर शुल्क का निर्धारण किया जायेगा। यह शुल्क 100 रुपये से 500 तक लिया जा सकता है, हालांकि इस पर अभी विचार चल रहा है। बता दें कि वर्तमान में उत्तराखंड में ग्रीन सेस तो लिया जाता है, लेकिन यह शुल्क प्रदेश के भीतर के नये वाहनों के रजिस्ट्रेशन व अन्य राज्यों के वाहनों का उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन कराने पर लिया जाता है। दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन सेस लागू नहीं किया गया है।

ग्रीन सेस क्या है ?

ग्रीन सेस एक प्रकार का पर्यावरणीय शुल्क है, जिसका प्रयोग राज्य सरकार प्रदूषण को कम करने व पर्यावरण संरक्षण हेतु करती है। इसके अलावा इस शुल्क का प्रयोग सड़क दुर्घटना सुरक्षा के रूप में भी होता है। उत्तराखंड में इसका बजट शासन द्वारा सड़क सुरक्षा कोष में दिया जाता है।

इकोनोमी व इकोलॉजी मॉडल पर आगे बढ़ रही धामी सरकार

दरअसल, आज दुनिया में जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी समस्या बन रहा है। भारत समेत विश्व समुदाय ने कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत में 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने का एलान किया है। इसी के तहत अब उत्तराखंड में जलवायु एवं पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण की दिशा में यह कदम उठाया गया है। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इकोनोमी के साथ इकोलॉजी के संरक्षण को भी बराबर महत्त्व दे रहे हैं।

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