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जीएसटी काउंसिल की बैठक आज, पेट्रोल-डीजल पर बड़ी राहत की उम्मीद

GST Council meet Updates: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज GST काउंसिल की बैठक में कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। आज काउंसिल पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने पर विचार कर सकती है, ऐसा होने पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को कर से होने वाले राजस्व पर भारी समझौता करना पड़ सकता है। GST परिषद में केंद्रीय और राज्य के वित्त मंत्री शामिल हैं, लखनऊ में होने वाली इस बैठक में, COVID-19 से जुड़ी जरूरी दवाइयों पर टैक्स में मिलने वाली छूट 31 दिसंबर तक बढ़ाई जा सकती है। जीएसटी परिषद की अध्यक्ष वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर टैक्स रेट की समीक्षा करेंगी।

वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया कि “वित्त मंत्री श्रीमती @nsitharaman शुक्रवार को लखनऊ में सुबह 11 बजे जीएसटी परिषद की 45 वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगी। बैठक में एमओएस श्री @mppchaudhary के अलावा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।”

इसके अलावा, GST परिषद Zomato और Swiggy जैसे फूड डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट की कैटेगरी में शामिल कर सकती है और उनकी सेवाओं पर 5 प्रतिशत GST लगाने के प्रस्ताव पर चर्चा कर सकती है। यह प्रस्ताव उन चार दर्जन से अधिक प्रस्तावों में से एक है जिन पर परिषद अपनी बैठक में विचार करेगी। यदि इन एप पर टैक्स लगाया जाता है, तो ऐप्स को अपने सॉफ़्टवेयर में बदलाव करने के लिए निश्चित समय दिया जाएगा ताकि इस तरह के टैक्स को चार्ज किया जा सके। जीएसटी के दायरे में आने पर फूड डिलीवरी ऐप को उनकी सेवा के लिए रेस्तरां के स्थान पर सरकार के पास जीएसटी जमा करना होगा। हालांकि, अंतिम उपभोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त कर का बोझ नहीं होगा।

लोगों को उम्मीद है कि सरकार GST के जरिए पेट्रोल और डीजल की बढ़ती समस्याओं का समाधान कर सकती है। पेट्रोलियम उत्पादों पर केन्द्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें वैट लगाती हैं। इस वजह से इनकी कीमतें बहुत ज्यादा हो जाती हैं। ऐसे में इन उत्पादों के GST के दायरे में आने पर इनकी कीमतें कम हो सकती हैं और पूरे देश में पेट्रोल डीजल एक समान दर पर मिल सकता है। जून में केरल उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका के आधार पर जीएसटी परिषद से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला करने को कहा था।

कोरोना से जुड़ी दवाइयों पर सरकार ने 30 सितंबर तक टैक्स में छूट दे रखी है, जिसे 31 दिसंबर तक बढ़ाया जा सकता है। एम्फोटेरिसिन बी, टोसीलिज़ुमैब, रेमेडिसविर और हेपरिन जैसे एंटी-कोआगुलंट्स पर रियायत दर 31 दिसंबर तक बढ़ सकती है। जून 2021 में एम्फोटेरिसिन बी, टोसीलिज़ुमैब पर कर की दर ‘शून्य’ कर दी गई, जबकि रेमेडिसविर और हेपरिन में 5 प्रतिशत कर लग रहा है। इसके अलावा 31 दिसंबर तक इटोलिज़ुमैब, पॉसकोनाज़ोल, इन्फ्लिक्सिमैब, बामलानिविमैब और एटेसेविमैब, कासिरिविमैब और इम्देवीमैब, 2-डीऑक्सी- डी-ग्लूकोज और फेविपिराविर पर टैक्स रेट 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जा सकता है।

परिषद पान मसाला पर क्षमता आधारित कराधान और ईंट भट्टों और स्टोन क्रशर के लिए कंपोजिशन स्कीम पर राज्य-मंत्रालयी पैनल की अंतरिम रिपोर्ट पर भी चर्चा करेगी। इसने 1 अप्रैल से ईंटों की आपूर्ति पर जीएसटी दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का भी सुझाव दिया है। परिषद जीएसटी दरों की समीक्षा करेगी और 32 वस्तुओं और 29 सेवाओं के बारे में भी स्पष्ट करेगी। इसके अलावा व्यक्तिगत उपयोग के लिए ज़ोलगेन्स्मा और विल्टेप्सो दवाएं, सोलर पीवी मॉड्यूल, कॉपर कॉन्संट्रेट, फलों के रस के साथ कार्बोनेटेड पेय, नारियल का तेल, सुगंधित मीठी सुपारी, ऑन्कोलॉजी दवा और डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन के टैक्स रेट में भी विचार किया जाएगा।

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