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ओएनडीसी पर ई-कॉमर्स आपूर्तिकर्ताओं की टीसीएस देनदारी पर स्पष्टीकरण जारी करेगी जीएसटी परिषद

नई दिल्ली : जीएसटी परिषद ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के जरिये ई-कॉमर्स कारोबार करने वाले आपूर्तिकर्ताओं पर स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) की देनदारी को लेकर स्पष्टीकरण जारी कर सकती है। जीएसटी परिषद की 50वीं बैठक 11 जुलाई को होनी है। बताया जाता है कि परिषद इस बैठक में ऐसे आपूर्तिकर्ताओं पर टीसीएस की देनदारी को लेकर स्पष्टीकरण जारी करेगी, जहां एक लेनदेन में कई परिचालक शामिल हैं।

ओएनडीसी उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की नई पहल है। अभी इसपर कोई स्पष्टता नहीं है कि जीएसटी कानून के तहत टीसीएस अनुपालन का दायित्व किसका होगा। जीएसटी कानून के तहत प्रत्येक ई-कॉमर्स परिचालक को अपने मंच के माध्यम से बेची जाने वाली वस्तुओं/सेवाओं के कर योग्य मूल्य पर एक प्रतिशत की दर से टीसीएस जुटाना होता है।

सूत्रों ने कहा कि केंद्र और राज्यों के कर अधिकारियों वाली विधि समिति ने परिषद को सुझाव दिया है कि ऐसी स्थिति में जहां कई ई-कॉमर्स परिचालक (ईसीओ) इस मंच पर एक ही लेनदेन में शामिल हैं, वहां टीसीएस का अनुपालन आपूर्ति पक्ष को करना होगा। ओएनडीसी नेटवर्क दो मॉडल में संचालित होता है – इन्वेंट्री मॉडल और मार्केटप्लेस मॉडल।

इन्वेंट्री मॉडल के तहत, एक खरीदार ई-कॉमर्स मंच पर ऑर्डर देता है, जो फिर सामान या सेवाओं के लिए आपूर्तिकर्ता को भुगतान करता है। यहां, विक्रेता को भुगतान करते समय ई-कॉमर्स मंच द्वारा टीसीएस काटा जाता है। टीसीएस कटौती की देनदारी के बारे में भ्रम मार्केटप्लेस मॉडल के मामले में है, – जहां एक ही लेनदेन में दो मध्यवर्ती शामिल होते हैं।

यहां, खरीदार एक ई-कॉमर्स मंच (खरीदार ऐप) पर ऑर्डर देता है जो फिर इसे किसी अन्य ई-कॉमर्स इकाई (विक्रेता ऐप) से प्राप्त करता है। विक्रेता ऐप तब वास्तविक आपूर्तिकर्ता से सामान खरीदती है। चूंकि इसमें कई इकाइयां शामिल होती हैं, ऐसे में डीपीआईआईटी ने इस बार में स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या खरीदार ई-कॉमर्स परिचालक या विक्रेता ई-कॉमर्स कंपनी को टीसीएस काटने की जरूरत होगी।

सूत्रों ने कहा कि इस मामले में, आपूर्तिकर्ता को भुगतान करते समय विक्रेता ऐप द्वारा टीसीएस काटना आवश्यक होगा। इस आशय का स्पष्टीकरण मंगलवार को जीएसटी परिषद द्वारा जारी किए जाने की संभावना है। ओएनडीसी का गठन 31 दिसंबर, 2021 को किया गया था। यह धारा आठ की कंपनी है। डीपीआईआईटी ने यह पहल छोटे खुदरा विक्रेताओं को डिजिटल कॉमर्स का लाभ देने के लिए शुरू की है।

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