नई दिल्ली : गुजरात (Gujarat Elections) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party-AAP) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार का मॉडल के जरिए भाजपा (BJP) को घेरने की कोशिश कर रही है। भाजपा के मुकाबले राज्य में कमजोर राजनीतिक ताकत होने के बाद भी दृष्टिकोण की लड़ाई में केजरीवाल भाजपा को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि भाजपा ने हर स्तर पर अपनी चाक-चौबंद रणनीति से एक बार फिर गुजरात फतह की तैयारी करनी शुरू कर दी है। दिल्ली में कथित शराब घोटाला भी गुजरात में चर्चा में है और यह आम आदमी पार्टी के मंसूबों पर भारी पड़ सकता है।
इस साल के आखिर में दो राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन दोनों राज्यों में भाजपा सत्ता में है। दोनों में अभी तक की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस में ही मुकाबला होता आया है। हिमाचल प्रदेश में तो कमोबेश यही स्थिति है, लेकिन गुजरात में आम आदमी पार्टी ने घुसपैठ कर राजनीतिक लड़ाई को बदलने की कोशिश की है। पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी अब गुजरात पर अपना जोर लगा रही है, ताकि भविष्य में केंद्रीय राजनीति में अपनी भूमिका को मजबूत कर सके।
आम आदमी पार्टी गुजरात में भाजपा के साथ मुख्य मुकाबले में आने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के मॉडल को जोर-शोर से प्रचारित कर रही है। गौरतलब है कि गुजरात में के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने भी गुजरात के विकास मॉडल को देशभर में प्रचारित किया था और इसका भाजपा को बड़ा लाभ भी मिला। अब केजरीवाल उसी रास्ते पर चलकर भाजपा से मुकाबला करने की तैयारी में है। राज्य में आम आदमी पार्टी दृष्टिकोण की लड़ाई बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि दिल्ली का कथित शराब घोटाला आम आदमी पार्टी के मंसूबों पर पानी फेर सकता है। भाजपा इस मुद्दे पर दिल्ली में लगातार मुहिम छेड़े हुए हैं। वह गुजरात के लोगों को यह बताने की कोशिश कर रही है कि अगर आम आदमी पार्टी आई तो शराब को लेकर नीति बदल सकती है। गुजरात शराब प्रतिबंधित राज्य है।
इस बीच भाजपा ने अपनी जमीनी तैयारी को मजबूत करते हुए दूसरे राज्यों के चुनावी प्रबंधन से जुड़े प्रमुख नेताओं को राज्य में लाना शुरू कर दिया है। पहले भी भाजपा गुजरात में दूसरे प्रत्याशियों के प्रमुख नेताओं को लाती रही है। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड के नेता बूथ से लेकर विधानसभा स्तर तक विभिन्न प्रबंधकीय जिम्मेदारियों से जुड़ेंगे। इस बीच भाजपा ने पन्ना प्रमुखों के जरिए और बूथ एवं मंडल स्तर पर एक-एक मतदाता तक पहुंचना शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि गुजरात में बीते विधानसभा चुनाव में राज्य की 182 सीटों में भाजपा को 99 व कांग्रेस को 77 सीटें मिली थी। अन्य के हिस्से में छह सीटें आई थी। जबकि आम आदमी पार्टी को बीते चुनाव में मात्र 0.1 फीसद वोट ही मिले थे। बाद में 2021 के निकाय चुनाव में सूरत नगर निगम में 121 में से 27 सीटें जीत कर आप ने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया था। गांघीनगर में भी उसने एक सीट जीती थी। इसके बाद आप ने यहां पर अपना जोर बढ़ाना शुरू किया है।