अहमदाबाद : गुजरात वर्षों से भारत के दवा उद्योग का ध्वजवाहक और दवा विनिर्माण व निर्यात का केंद्र रहा है। राज्य सरकार ने यह बात कही।’वाइब्रेंट गुजरात’ वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन की मेजबानी की तैयारी में लगी राज्य सरकार ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि गुजरात स्थित एलोपैथिक, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और कॉस्मेटिक दवाओं का उत्पादन करने वाली 4,000 से अधिक विनिर्माण इकाइयां करीब 50,000 लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत के चिकित्सकीय उपकरणों के निर्माण में राज्य का योगदान 53 प्रतिशत और देश के कार्डियक स्टेंट निर्माण में 78 प्रतिशत है। देश के करीब 40 प्रतिशत अनुबंध अनुसंधान संगठन गुजरात में स्थित हैं।
आगामी वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन से पहले मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने दवा क्षेत्र में राज्य की अहम भूमिका को उजागर करने का आह्वान किया है। पटेल ने कहा, ‘‘भारत के दवा उत्पादन में गुजरात का 30 प्रतिशत और कुल दवा निर्यात में 28 प्रतिशत का योगदान है।”
‘वाइब्रेंट गुजरात’ कार्यक्रम का 10वां संस्करण अगले साल जनवरी में गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा। इसका मकसद राज्य को सबसे अनुकूल निवेश गंतव्य के रूप में पेश करना है। वर्ष 2020 से 2022 तक 700 से अधिक दवा विनिर्माण लाइसेंस जारी किए किए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वैश्विक दवा क्षेत्र में गुजरात की हिस्सेदारी आसमान छूने वाली है।
गुजरात में पंजीकृत 130 दवा कंपनियां संयुक्त राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) द्वारा अनुमोदित हैं, जबकि 753 इकाइयां डब्ल्यूएचओ गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (जीएमपी) द्वारा अनुमोदित हैं।
सोटैक फार्मास्युटिकल लिमिटेड के चेयरमैन शरद पटेल ने कहा, ‘‘इस ‘वाइब्रेंट गुजरात’ की शुरुआत नरेन्द्र मोदी ने की थी। हमने देखा है कि तब से सब कुछ जीवंत है और भारी निवेश (दवा क्षेत्र में) किया जा रहा है। हम सभी ‘वाइब्रेंट गुजरात’ से जुड़े हुए हैं और इससे हमारा कारोबार बढ़ा है।”