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गुजरात विश्व का सबसे बड़ा हाइब्रिड ऊर्जा पार्क स्थापित करके पवन ऊर्जा वृद्धि में आगे

अहमदाबाद ; भारत की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि के केंद्र में गुजरात अपनी 1,600 किलोमीटर लंबी हवादार तटरेखा के साथ खड़ा है, जहां हवाएं 10 मीटर प्रति सेकंड की गति से चलती हैं, जो पवन ऊर्जा उत्पादन (विंड एनर्जी प्रोडक्शन) के लिए एक आदर्श वातावरण को बढ़ावा देती हैं। इस रणनीतिक लाभ ने गुजरात को भारत के पवन ऊर्जा क्षेत्र (विंग पावर सेक्टर) में अग्रणी स्थान पर पहुंचा दिया है और देश के पर्यावरण लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

भारत, जिसने 1980 के दशक में अपनी पवन ऊर्जा यात्रा शुरू की थी, 41.98 गीगावॉट की क्षमता के साथ विश्व स्तर पर चौथे सबसे बड़े तटवर्ती पवन ऊर्जा बाजार के रूप में उभरा है। इस क्षमता में गुजरात की हिस्सेदारी 9.8 गीगावॉट है, जो इसे देश के नवीकरणीय ऊर्जा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण प्लेयर बनाती है।

वैश्विक पवन ऊर्जा परिषद की मार्च 2023 की रिपोर्ट 2030 तक 60 गीगावॉट तटवर्ती और लगभग 40 गीगावॉट अपतटीय पवनचक्की क्षमता जोड़ने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना की रूपरेखा पेश करती है। ये लक्ष्य स्वच्छ ऊर्जा के प्रति एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता और जीवाश्म ईंधन निर्भरता से दूर बदलाव को दर्शाते हैं। जबकि, सौर पैनल सूर्यास्त के बाद बिजली उत्पादन बंद कर देते हैं, विंड टरबाइन रात भर ऊर्जा का दोहन जारी रखते हैं। यह पूरक पहलू विंड एनर्जी को भारत के भविष्य के एनर्जी मिश्रण के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाता है।

गुजरात सरकार ने राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप, हाल ही में 2023-2028 के लिए अपनी नवीकरणीय ऊर्जा नीति का अनावरण किया। इस नीति का महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2030 तक नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से राज्य की 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है, जिसमें 5 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य है। इसमें नवीकरणीय परियोजनाओं का एक व्यापक स्पेक्ट्रम शामिल है, जिसमें ग्राउंड-माउंटेड सोलर, रूफटॉप सोलर, फ्लोटिंग सोलर, कैनाल टॉप सोलर और विंड-हाइब्रिड परियोजनाएं शामिल हैं।

इस नीति की एक प्रमुख विशेषता नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) उत्पादन का विकेंद्रीकरण है, जो उद्योग की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है। यह पिछले क्षमता प्रतिबंधों को हटा देता है, जिससे कंपनियों को अपने स्वयं के आरई प्लांटो के माध्यम से अपनी ऊर्जा जरूरतों का 100 प्रतिशत पूरा करने की इजाजत मिलती है। यह पहले की 50 प्रतिशत सीमा से एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जहां उद्योग बाकी के लिए डिस्कॉम पर निर्भर थे। इसके अतिरिक्त, कंपनियां अब सामूहिक रूप से अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनियों (रेस्कोस) से अक्षय ऊर्जा खरीद सकती हैं, जिससे तीसरे पक्ष की बिजली बिक्री से जुड़े विभिन्न अधिभार पर बचत होगी।

हालांकि, नीति के लागू करने में नए नियमों के तहत दर निर्धारण और विंड क्षेत्र में रूफटॉप सौर परियोजनाओं की सफलता को दोहराने सहित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य की रणनीतिक स्थिति और सक्रिय नीतियां इसे नवीकरणीय ऊर्जा के लिए भारत की दौड़ में एक प्रमुख प्लेयर के रूप में स्थापित करती हैं, जो 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के राष्ट्रीय लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

वर्तमान में घटनाक्रम में गुजरात के कच्छ जिले में विघाकोट गांव के पास स्थित गुजरात हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा पार्क, नवीकरणीय ऊर्जा में एक मील का पत्थर बनने की ओर अग्रसर है। पूरा होने पर यह विशाल सुविधा सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों दोनों का उपयोग करके प्रभावशाली 30 गीगावाट बिजली उत्पन्न करने के लिए तैयार है। 72,600 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र को कवर करते हुए, मुख्य रूप से बंजर भूमि पर यह पार्क दुनिया का सबसे बड़ा हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा पार्क बनने की राह पर है।

अपनी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमताओं के अलावा, पार्क में 14 जीडब्ल्यूएच ग्रिड-स्केल बैटरी स्टोरेज सिस्टम की पर्याप्त सुविधा होगी। अनुमान है कि इससे लगभग एक लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे और 150,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से पार्क को कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में योगदान देने का अनुमान है, जिसमें सालाना अनुमानित 5 करोड़ टन की कटौती होगी।

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