राज्यलखनऊ

ज्ञानेन्द्र शर्मा : व्यक्ति नहीं, स्वयं में संस्थान

दस्तक ब्यूरो

अगर उन्हें पत्रकारिता का युगपुरुष कहा जाये तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। बीते छह दशक में सक्रिय पत्रकारिता व लेखन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले श्रद्धेय ज्ञानेन्द्र शर्मा जी केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि अपने आप में एक संस्थान थे। सरल, मृदुभाषी और कई मौकों पर व्यंग्यबाण चलाने से नहीं चूकने वाले ज्ञानेन्द्र शर्मा जी अब परलोकवासी हो गये हैं। उनके महाप्रयाण से उनकी लेखनी से सीखने वाले स्वयं को अनाथ महसूस कर रहे हैं। उनकी स्मरण शक्ति इतनी तीक्ष्ण थी कि यदि कोई उनका अनुज किसी विषय पर कहीं अटक जाता था तो वह तत्काल उसे संदर्भों के साथ पूरा विषय स्पष्ट कर दिया करते थे। उन्होंने अपने घर में जो लाइब्रेरी बना रखी थी और उसमें ऐसे-ऐसे नायाब विषयों पर पुस्तकें रखीं, जो आसानी से कहीं भी देखने को नहीं मिलेगी। उन्होंने हजारों की संख्या में लेख-आलेख लिखे और मीडिया के कई प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया। दूसरे शब्दों में यह कहें कि उनके होने से कई मीडिया संस्थान प्रतिष्ठित कहलाये जाने लगे थे।

लगभग साढ़े चार वर्ष तक उत्तर प्रदेश के प्रथम राज्य सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त के पद को भी उन्होंने सुशोभित किया। इस पद पर आसीन होने वाले पहले पत्रकार जिन्होंने अपने कार्यकाल में नवागत सूचना का अधिकार अधिनियम की बारीक व्याख्या की और अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अनगिनत ऐसे फैसले सुनाए जो नजीर बने। ज्ञानेन्द्र जी ने वरिष्ठ स्थानीय संपादक, दैनिक हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, राजनीतिक संपादक, दैनिक जागरण, लखनऊ, स्थानीय संपादक, स्वतंत्र भारत, लखनऊ, प्रधान संपादक, जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ होने से पहले चीफ रिपोर्टर, नवभारत टाइम्स, ब्यूरो प्रमुख समाचार भारती, सह संपादक, मध्य प्रदेश क्रॉनिकिल, एमपी क्रानिकिल अंग्रेजी दैनिक, भोपाल में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने समाचार संकलन, लेखन और समाचार प्रबंधन की सम्पूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन किया, प्रशासनिक, संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया। अनेक विषयों पर दर्जनों समसामयिक विचारोत्तक लेख लिखे तथा समाचारों का बारीक विश्लेषण कियार्।

प्रिंंट मीडिया के अलावा टेलीविजन चैनलों के लिए 1976 से लगातार सामयिक विषयों पर कार्यक्रम तैयार किए और उनका तथा उनसे जुड़ी चर्चाओं का उन्होंने प्रस्तुतीकरण किया। इन चर्चाओं में आम आदमी के संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा से जुड़े विषयों पर चर्चाएं शामिल थीं। इन टेलीविजन चैनलों में दूरदर्शन और ईटीवी प्रमुख थे। आकाशवाणी, बीबीसी और वॉयस आफ अमेरिका के लिए अनेक प्रोग्राम तैयार और प्रस्तुत किए। पत्रकारिता क्षेत्र की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं यथा धर्मयुग, दिनमान, दिनमान टाइम्स, नई दुनिया, कादम्बिनी में कई वर्षों तक लगातार लेखन कार्य किया।

जिज्ञासु प्रवृत्ति के होने के कारण उन्होंने अमेरिका, इंगलैंड, रूस, कनाडा, ईरानर्, सिंगापुर, थाईलैण्ड, फ्रांस, इटली, स्विटजरलैण्ड व कुछ अन्य यूरोपीय देशों का भ्रमण इसलिए भी किया क्योंकि वे वहां के सामाजिक, आर्थिक व प्रशासनिक ढांचे के अलावा राजनीतिक गतिविधियों का अध्ययन करना चाहते थे। भारत के प्रधानमंत्री के साथ ईरान और विदेश मंत्री के साथ रूस की अधिकारिक यात्रा की। वे अपना सामाजिक दायित्व भी पूरा करने में कभी पीछे नहीं रहेर्। ंलग भेद पर आधारित उन्होंने एक पुस्तक ‘एक अदद लड़की’ लिखी जो कि कहानियों का संग्रह था और उसका प्रकाशन 2008 में हुआ। ‘दस्तक टाइम्स’ को उनका सानिध्य तब प्राप्त हुआ जब पत्रिका अपने शैशव काल में थी। उनका मार्गदर्शन और सामायिक विषयों पर उनके विचारों से ओतप्रोत उनके लेखों ने पत्रिका को चार चांद लगा दिए। ‘दस्तक टाइम्स’ परिवार आदरणीय स्व. ज्ञानेन्द्र शर्मा जी को भावपूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित करता है।

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