ज्ञानवापी : नहीं हटेंगे कोर्ट कमिश्नर, 17 के पहले सर्वे पूरा करने का आदेश
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सहित तहखाने की भी होगी फोटो व वीडियोग्राफी
सर्वे के लिए दो और कमिश्नर विशाल कुमार सिंह व अजय सिंह असिस्टेंट कमिश्नर नियुक्त
कार्रवाई में व्यवधान डालने वालों से सख्ती से निपटने की हिदायत, जरुरत पड़ी तो जिला प्रशासन ताला तुड़वाएं या खुलवाएं, लेकिन कार्यवाही ना रुके, सरकार सर्वे की कार्रवाई का सुपरविजन करे, ताकि जिले का कोई भी अधिकारी कमीशन कार्यवाही को टालने के लिए बहाना न बने सके, सर्वे की कार्रवाई सुबह 8 बजे से 12 बजे तक होगी, सर्वे हर दिन लगातार होगा, यह तब तक होता रहेगा, जब तक कमीशन की कार्रवाई पूरी नहीं होगी, किसी भी स्थिति में कमीशन की कार्रवाई नहीं रोकी जाएगी, चाहें किसी पक्षकार का सहयोग हो या नहीं
–सुरेश गांधी
वाराणसी : ज्ञानवापी मामले में पिछले आदेशों में व्यवधान पहुंचाने से खफा कोर्ट ने इस बार सख्त और ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 17 मई के पहले बिना किसी रुकावट के दोबारा सर्वे होगा। साथ ही सर्वे के लिए नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाए जाने से इनकार कर दिया। हालांकि, अदालत ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा के अलावा विशाल कुमार सिंह को भी कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। इसके अललावा अजय सिंह को असिस्टेंट कमिश्नर बनाया गया है। कोर्ट ने 17 मई तक सर्वे की कार्रवाई पूरी करके रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। खासकर सर्वे में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भी निर्देश दिया है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने गुरुवार को अधिवक्ता आयुक्त को बदलने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। ज्ञानवापी मामले में सर्वे कमिश्नर अजय मिश्र को नहीं हटाया जाएगा। कोर्ट ने दो और सहायक कमिश्नर नियुक्त किए हैं। अजय मिश्र के साथ विशाल सिंह को सहायक कमिश्नर नियुक्त किया गया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 17 मई से पहले सर्वे किया जाएगा। पूरे इलाके यानी परिसर व तहखाने की फोटो व वीडियोग्राफी होगी। सर्वे के दौरान दोनों पक्ष के लोग मौजूद रहेंगे। सर्वे का विरोध करने वालों पर मुकदमा दर्ज होगा। कोर्ट ने कहा कि 17 मई से पहले कार्रवाई को पुख्ता करें। कमीशन की कार्रवाई में बाधा नहीं आनी चाहिए। कोर्ट ने 17 मई को सर्वे रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। शासन प्रशासन के सहयोग से कार्रवाई होगी। सुबह नौ से 12 तक सर्वे किया जाएगा। बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बहस के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने कहा कि सरकार व जिला प्रशासन अदालत के आदेश का अनुपालन कराने को तैयार हैं। कमीशन कार्यवाही शुरू होने के बाद सर्वे कमिश्नर को बदलने की मांग का विरोध किया। वादी पक्ष की तरफ से सुधीर त्रिपाठी, सुभाषनंदन चतुर्वेदी, शिवम गौड़, अनुपम द्विवेदी, मदनमोहन ने अंजुमन इंतजामिया की आपत्ति का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह कमीशन की कार्यवाही रोकने का प्रयास है। पहले कमीशन की रिपोर्ट कोर्ट में आए फिर उस पर आपत्ति की जा सकती है या दूसरे सर्वे कमीशन की मांग की जा सकती है। सुनवाई के दौरान नियुक्त सर्वे कमिश्नर अजय मिश्र, वादिनीगण, जितेंद्र सिंह बिशेन के अलावा सुरक्षाकर्मी मौजूद रहे।
कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
1- वाराणसी कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाए जाने से इनकार कर दिया.
2- कोर्ट ने सर्वे के लिए एक और कमिश्नर विशाल कुमार सिंह को नियुक्त किया है. इसके अलावा अजय सिंह को असिस्टेंट कमिश्नर नियुक्त किया है.3- कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पूरी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे किया जाएगा, इसमें तहखाना भी शामिल हैं. इस दौरान वीडियो ग्राफी भी कराई जाएगी.
4- कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन कोआदेश दिए हैं कि इस कार्रवाई को पूरा कराया जाए. जो भी लोग इसमें व्यवधान डालेंगे, उनपर कार्रवाई की जाए.
5- कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे 17 मई सेपहले कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने 17 मई को सर्वे की अगली रिपोर्ट देने के लिए कहा है.
6- कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कमीशन की कार्यवाही के दौरान कमिश्नर किसी भी बिंदु की फोटो और वीडियोग्राफी कराने के लिए स्वतंत्र होंगे.
7- कोर्ट ने साफ किया है कि अगर कहीं अवरोध पैदा करने की कोशिश की जाती है,या कहीं ताला तोड़ा जाता है, तो जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि तालातोड़कर कमीशन कार्यवाही कराई जाए.
8 – कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है किह सर्वे की कार्रवाई का सुपरविजन करे, ताकि जिले का कोई भी अधिकारी कमीशन कार्यवाही को टालने के लिए बहाना न बने सके.
9 – सर्वे की कार्रवाई सुबह 8 बजे से 12 बजे तक होगी. सर्वे हर दिन लगातार होगा, यह तब तक होता रहेगा, जब तक कमीशन की कार्रवाई पूरी नहीं होगी.
10- किसी भी स्थिति में कमीशन की कार्रवाई नहीं रोकी जाएगी, चाहें किसी पक्षकार का सहयोग हो या नहीं.
11- कमिश्नर कहीं भी फोटोग्राफी के लिए स्वतंत्र होंगे। चप्पे-चप्पे की वीडियोग्राफी की जाएगी।
12- जिला प्रशासन ताले को खुलवाकर या ताले को तुड़वाकर भी सर्वे कराएगा। डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी मॉनिटरिंग करे।
13- सर्वे पूरा कराने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी क्ड, पुलिस कमिश्नर की होगी।
14 जिला प्रशासन बहाना बनाकर सर्वे की कार्रवाई को टालने का प्रयास नहीं करेंगे।
क्या है मामला
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की रोजाना पूजा-अर्चना को लेकर है। 18 अगस्त 2021 को 5 महिलाएं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, गणेश जी, हनुमान जी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की इजाजत मांगते हुए हुए कोर्ट पहुंची थीं। अभी यहां साल में एक बार ही पूजा होती है।
11 मई को पूरी हुई थी सुनवाई
इससे पहले बुधवार यानि 11 मई वाराणसी की सिविल कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई थी. जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए, गुरुवार की दोपहर 12 बजे के बाद फैसला सुनाने की बात कही थी. बता दें कि बुधवार को दोनों पक्षों की ओर से अपनी-अपनी दलील कोर्ट में दी गई थी. इसके साथ ही कोर्ट कमिश्नर ने भी अपना पक्ष रखा. वादी पक्ष ने बैरिकेडिंग के भीतर जाने को लेकर कोर्ट से स्पष्ट आदेश की गुहार लगाने के साथ ही कोर्ट कमिश्नर के पक्षपात न करने की बात रखी है. वहीं मुस्लिम पक्ष अपनी अर्जी पर कायम है.
सर्वे से डर क्यों : बग्गा
ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट के फैसले को एतिहासिक बताते हुए व्यापारी नेता अजीत सिंह बग्गा ने कहा कि वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। खासकर तब जब कोर्ट के देखरेख में सब कुछ हो रहा हो। बग्गा ने दावा किया है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। यह बात एक-दो नहीं कई इतिहासकारों ने कही है कि औरंगजेब ने मंदिर को तोड़े जाने का आदेश दिया था। मस्जिद परिसर की दीवारों में हिंदू धर्म से जुड़े निशान और कलाकृतियां आज भी दिखाई देती हैं। आज भी वहां पत्थर के ऊपर पत्थर रखे हुए है। अगर उन्हें हटाया जाए तो वहां टूटे-फूटे शिवलिंग और देवी-देवताओं के विग्रह भी निकलेंगे। लंबे-लंबेपत्थरों की खंभों पर जो भी कलाकृतियां बनी हैं, वही कलाकृतियां आज भी मंदिर के मूल ढांचे में दिखाई देती है। मतलब साु है ’यह मस्जिद नहीं है, मंदिर है, ऊपर की तरफ से मस्जिद में 3 गुम्बद बने हैं, वह मंदिर तोड़कर ही बने हैं, उसी मलबे से गुम्बद बना है. पत्थर लगाकर दरवाजा बंद किया गया है अगर यह खोल दिया जाए तो यह गर्भ गृह की ओर जाता है, जो ठीक बीच वाले गुम्बद के नीचे है. जैसा कि ज्ञानवापी नाम से ही लगता है मस्जिद हो ही नहीं सकती। उत्तर दिशा की ओर गेट नुमा आकार है, यही से यह अंदर आते हैं, जो मंदिर का स्ट्रक्चर था वह भी ऐसा था. तहखाने की लंबाई 7 फीट है, तहखाने के अंदर टूटे हुए शिवलिंग और देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं. वीडियोग्राफी होते ही यहां सारा सच खुल जाएगा। श्रृंगार गौरी से आगे बढ़कर बाएं ओर बढ़ेंगे तो कुआं दिखेगा, नंदी की तस्वीर हमेशा शिव की ओर होते हैं, इसके भी वही हैं। नंदी का मुंह मूल ज्ञानवापी की तरफ है, जो बताता है ज्ञानवापी ही मंदिर है।