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7 जुलाई से दो साल बाद फिर से शुरु हुई हज यात्रा

नई दिल्ली ; वर्ष 2019 के बाद पहली बार सऊदी अरब विदेशी हज तीर्थयात्रियों का एक बार फिर स्वागत कर रहा है। जबकि कोरोना महामारी की वजह से साल 2020 और 2021 में सिर्फ सऊदी अरब निवासियों को ही हज यात्रा की अनुमति थी। यहां हम आपको हज यात्रा शुरू होने की तारीख, इसके ऐतिहासिक महत्व और इस यात्रा के दौरान निभाई जाने वाली रस्मों के बारे में बता रहे है।

इस साल कुल 79,237 भारतीय यात्री हज में शामिल होने की अनुमति मिली है। हज 2022 की शुरुआत 7 जुलाई से होगी जो 12 जुलाई तक चलेगी, क्योंकि मुस्लिम धुल-हिज्जा महीने (इस्लामिक कैलेंडर वर्ष के 12वें महीने) के आठवें और 13वें दिन के बीच हज की यात्रा पूरी करते हैं। अधिकांश इस्लामिक देशों में ईद-उल-अदहा 9 जुलाई 2022 को मनाए जाने की उम्मीद है।

हज कमेटी के अनुसार हज की अवधि 8वें जिल-हिज्जा (7वें जिल-हिज्जा की मगरिब की नमाज से) शुरू होगी। मोआल्लिम बसें तीर्थयात्रियों को लेकर मक्का से मीना जाती है जो हरम शरीफ से 7-8 किलोमीटर की दूरी पर है।

सऊदी अरब ने इस बार हज यात्रियों के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए हैं, उसके अनुसार, हज के लिए सिर्फ वहीं व्यक्ति सऊदी अरब के मक्का की यात्रा कर सकते हैं जिनकी उम्र 65 साल से कम की है। कोरोना की दोनों वैक्‍सीन के साथ-साथ सऊदी अरब में प्रवेश के 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखानी भी अनिवार्य है। इसके अलावा फेसमास्‍क लगाना जरुरी है। महिलाओं के हज यात्रा के लिए भी सऊदी अरब ने नियम बनाए हैं। अगर कोई महिला बिना किसी पुरुष रिश्तेदार के हज यात्रा करना चाहती है तो इसके लिए उसकी उम्र 45 साल से अधिक होनी चाहिए। साथ ही महिला को चार अन्य महिलाओं का साथ होना जरूरी है जिनकी उम्र भी 45 से अधिक हो।
हज यात्रा जरूरी क्यों?

– मुस्लिमों के लिए हज यात्रा बेहद जरूरी मानी जाती है। क्यूंकि ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। इस्लाम में कुल पांच स्तंभ हैं- कलमा पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात देना और हज पर जाना।

– कलमा, नमाज और रोजा रखना तो हर मुसलमान के लिए जरूरी है। लेकिन जकात (दान) और हज में कुछ छूट दी गई है। जो सक्षम हैं यानी जिनके पास पैसा है, उनके लिए ये दोनों (जकात और हज) जरूरी हैं।

– हज सऊदी अरब के मक्का शहर में होता है, क्योंकि काबा मक्का में है. काबा वो इमारत है, जिसकी ओर मुंह करके मुसलमान नमाज पढ़ते हैं. काबा को अल्लाह का घर भी कहा जाता है. इस वजह से ये मुसलमानों का तीर्थ स्थल है।
हज यात्रा में क्या-क्या होता है?

-हज यात्रा के पहले चरण में इहराम बांधना होता है. ये बिना सिला हुआ कपड़ा होता है, जिसे शरीर से लपेटना होता है। इहराम बांधने के बाद कुरान की आयतें पढ़ते रहना होता है।

– इहराम के बाद काबा पहुंचना होता है. यहां नमाज पढ़नी होती है। काबा का तवाफ (परिक्रमा) करना होता है। काबा की तरफ रुख करके दुनियाभर के देशों से आए हाजी नमाज पढ़ते हैं।

– इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच में 7 चक्कर लगाने होते हैं. माना जाता है कि यही वो जगह है जहां हजरत इब्राहिम की पत्नी अपने बेटे इस्माइल के लिए पानी की तलाश करने पहुंची थीं.

– फिर मक्का से करीब 5 किलोमीटर दूर मीना जगह पर सारे हाजी इकट्ठा होते हैं और शाम तक नमाज पढ़ते हैं. अगले दिन अराफात नाम की जगह पर पहुंचते हैं और अल्लाह से दुआ मांगते हैं।

– इसके बाद मीना में लौटकर आते हैं और यहां शैतान को कंकड़-पत्थर मारते हैं. शैतान को दिखाते हुए यहां तीन खंभे बनाए गए हैं, जहां हाजी 7-7 पत्थर मारते हैं।

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