मेरठ। कहते हैं कि प्रतिभा (Talent) उम्र की मोहताज नहीं (not a matter of age) होती और हौसलों के उड़ान (flight of spirits) की कोई सीमा नहीं होती. कुछ इसी वाक्य को सच कर दिखाया है मेरठ के रहने वाले एक 81 वर्ष के बुज़ुर्ग (81 year olds) ने। ये बुज़ुर्ग ऐसा दौड़े कि उन्होंने कई राज्यों के एथलीट को पीछे छोड़ दिया. तीन-तीन स्वर्ण पदक जीतकर जब हरबीर सिंह चैंपियन बनकर घर लौटे तो समूचे गांव ने उनका स्वागत ढोल नंगाड़े घोड़ों और फूल माला के साथ किया।
हरबीर सिंह ने इस आयु में ऐसा कमाल कर दिखाया कि वो चर्चा का विषय बने हुए हैं. हरबीर सिंह ने चेन्नई में आयोजित 42वीं नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर सभी को हैरान कर दिया. हरबीर ने एक दो नहीं अस्सी प्लस की अलग-अलग स्पर्धाओं में तीन स्वर्ण पदक जीतकर सभी को चारों खाने चित कर दिया. चेन्नई से गोल्ड मेडलिस्ट बनकर लौटे इक्यासी वर्ष चैंपियन जब मेरठ पहुंचे तो उनका एक चैंपियन की तरह स्वागत किया गया। गांव में बाकयदा ढोल नंगाड़े घोड़ों और फूल माला के साथ उनकी शोभा यात्रा निकाली गई. हरबीर कहते हैं कि जज्बा हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं।
हरबीर ने इससे पहले भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. उन्होंने 2015 में गोवा में 400 मीटर की बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल किया था. 2016 में मैसूर, 2018 में बैंगलुरु में भी शानदार प्रदर्शन कर मेडल जीता था. अब उनका सपना है कि वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का तिरंगा शान से लहराएं. हरबीर के बेटे और पोते उनकी ऊर्जा के कायल है. पोता तो कहता है कि एक बार दादा जी उनके साथ हरिद्वार कांवड़ लेकर लौटे तो वो उनसे 28 किलोमीटर पीछे था. वहीं बेटा कहता है कि उनकी उम्र तो 45 की है लेकिन उनसे दौड़ा नहीं जाता. ऐसे में इक्यासी वर्ष की आयु में ऐसी दौड़ से सभी हतप्रभ हैं।
मेरठ लौटे इक्यासी वर्ष के बुजुर्ग को इस कामयाबी पर लोग इतना उत्साहित हुए कि उन्हें घोड़े के साथ गांव में घुमाकर सम्मान किया. बुज़ुर्ग का कहना है कि अध्यात्म की शक्ति ने उन्हें इतना पावरफुल बना दिया है. गांववाले उन्हें अब बाहुबली नाम से भी पुकारने लगे हैं।