राष्ट्रीय

हवाला कारोबार जम्मू कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में बन रहा चुनौती

नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : हवाला कारोबार अपराध और टेरर फंडिंग का प्रमुख जरिया हाल ही में जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक ने राज्य में हवाला बिजनेस की कार्यवाही की गंभीरता को रेखांकित किया है। पुलिस महानिदेशक आर.आर. स्वैन का कहना है कि पाकिस्तान में आतंकवादी “हवाला” कारोबार पर कार्यवाही के कारण मादक पदार्थ के कारोबार से अर्जित धन का इस्तेमाल अपने घटते वित्त की भरपाई के लिए कर रहे हैं, ताकि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में मदद मिल सके। इसी तरह हाल ही में जालंधर फिरोजपुर में हवाला कारोबार में शामिल एक गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। आरोपी से 3100 अमरीकी डॉलर सहित लगभग तीन करोड़ रुपए पुलिस ने बरामद किए। भारत के कई हिस्सों में इसी तरह हवाला के पैसे से क्राइम और टेरर फंडिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है और यह एक संगठित अपराध के रूप में देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बन गया है।

उत्तर प्रदेश में हवाला रूट और कारोबार के जरिए नकली दवा कारोबार होने की घटना सामने आई है और जांच के दौरान सबूत भी मिले हैं जिससे स्पष्ट हुआ है कि करोड़ों की टैक्स चोरी हुई है। उत्तर प्रदेश में प्रदेश में हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड से तैयार होने वाली नकली दवाओं का जाल भी देखा गया है। ऐसे में इस नेटवर्क को तोड़ने में लगी एसटीएफ व एफएसडीए की टीम को लगातार चौकाने वाले तथ्य मिल मिले। पकड़े गए लोगों से हुई पूछताछ में यह बात सामने आई कि नकली दवा का यह कारोबार हवाला के जरिए चल रहा है। ज्यादातर माल बिना बिल बाउचर के जाता है। भुगतान के संबंध में भी कोई लिखापढ़ी नहीं होती है। सिर्फ पर्ची के सहारे टर्न ओवर चल रहा है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की टीम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब विभाग जांच के लिए नई रणनीति बना रहा है ताकि नकली दवा के कारोबारियों तक पहुंच सके।ऐसे में सवाल है कि हवाला कारोबार क्या होता है, हवाला रूट अपनाकर अपराध कैसे किए जाते हैं। यह अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए कैसे खतरा है। दरअसल, हवाला का मतलब एजेंटों के माध्यम से धन का एक देश से दूसरे देश में हस्तांतरण किया जाता है। यह पैसे के लेन-देन का एक गैर कानूनी तरीका है जिसे “हुंडी” भी कहा जाता है। हवाला कारोबार एक देश के अन्दर भी होता है और बाहर भी । यह एक संगठित अपराध है जो देश की राष्ट्रीय आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करता है। इसे एक पारंपरिक और अनौपचारिक तरीके के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी भी अन्य बैंकिंग सिस्टम के समानान्तर चलता है और अपने बिचौलियों की अहमियत और भरोसे पर आधारित है।

हवाला कारोबार को एक उदाहरण से समझा जा सकता है : न्यूयॉर्क से कोई व्यक्ति बिना कोई बैंक खाता खोले ही इस्लामाबाद में पैसे भेज सकता है। इसके लिए उसे स्थानीय बिचौलिए से संपर्क करके उसे डॉलर में राशि और वो पासवर्ड देनी होती है जिस पर पैसे भेजने वाला और उसे प्राप्त करने वाला दोनों सहमत होते हैं। यानी यह पासवर्ड अब उन दोनों के अलावा बिचौलिए को भी पता होती है। अब स्थानीय बिचौलिया पाकिस्तान की राजधानी में वहां के बिचौलिए से सम्पर्क करता है और उसे वो राशि और पासवर्ड बताता है। ये दूसरा बिचौलिया उतनी ही राशि का पाकिस्तानी रुपया उस व्यक्ति को देता है जिसे पैसे डिलीवर किए जाने थे। वो यह सुनिश्चित करता है कि पैसा सही व्यक्ति तक पहुंचे, वो उससे पासवर्ड पूछता है। यह पूरी प्रक्रिया महज कुछ घंटों में पूरी हो जाती है और बिचौलिए एक छोटी राशि बतौर कमीशन अपने पास रखता है। हवाला रूट इसलिए भी अपनाया जाता है कि कई बार ये घोषित पैसे नहीं होते हैं यानी पूरी तरह से वैध नहीं होते। कई बार (यूज़र) टैक्स देने से बचता है। वहीं जब वो बतौर रिमिटेंस यह पैसे दूसरे देश में भेजता है तो वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि बतौर कमीशन बिचौलिया कम से कम पैसे रखे। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अगर कोई व्यक्ति अमेरिका से दूसरे देश में स्थित अपने परिवार को पारंपरिक तरीक़े से पैसे भेजना चाहता है तो इसके लिए उसे कई मांगों को पूरा करना पड़ता है।

2018 में संगठित अपराध और करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की एक जांच में कहा गया था कि दुबई में हवाला जैसे ग़ैरपारंपरिक व्यवस्था का इस्तेमाल कर बड़ी संख्या में लाखों विदेशी कामगार भारत, फिलिपींस जैसे देशों में अपने परिवार को पैसे भेजते रहे हैं। इसमें बताया गया था कि ये रक़म 240 करोड़ रुपये से भी अधिक है। आज आतंकवादी संगठन हवाला रूट का इस्तेमाल करके टेरर फंडिंग कराकर आतंकी हमलों को अंजाम देने की कोशिश करते हैं। 2001 में अमेरिका के आतंकी हमलों में भी हवाला रूट का इस्तेमाल किया गया था । साथ ही 2006 में इंडियन मुजाहिदीन के द्वारा भारत में की गई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों में भी हवाला रूट के जरिए ही पैसा आया था । इसलिए यह राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरनाक है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष हवाला कारोबार का आकार 20 से 25 अरब डॉलर का है। हवाला कारोबार एक देश के अन्दर भी होता हैl जिसके माध्यम से विभिन्न राजनीतिक दलों और आतंकी संगठनों और नक्सली संगठनों तक रुपया पहुँचाया जाता है। हवाला से सोने के तस्करी में काफी मदद मिलती है। सोने के तस्कर हवाला से ही रुपए का लेन-देन करते हैं। इसके जरिए विदेश में या देश के किसी भी शहर में लाखों-करोड़ों रुपए का भुगतान कुछ घंटों में हो जाता है। भूमाफिया भी हवाला का सहारा लेते हैं। वे यहां जमीन का सौदा करते हैं और जमीन मालिक को अप्रवासी उनके गृह नगर कोलकाता, मुंबई, गुवाहाटी, हैदराबाद, बेंगलुरु या उड़ीसा में भुगतान कर देते हैं। रुपए इधर से उधर ले जाने में रिस्क कम होता है।

हवाला कारोबार करने वाला व्यक्ति काले धन को वैध बनाना (मनी लांड्रिंग ), विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियमन अधिनियम (फेरा), और अन्य कर कानूनों के उल्लंघन का दोषी माना जाता है l इसलिए हवाला को ‘अवैध रूप से कमाई गई’ रकम को ‘अवैध रूप से प्राप्त करना’ कहा जा सकता है l फेरा कानून के अनुसार सिर्फ अधिकृत व्यापारी के माध्यम से ही देश में या देश के बाहर मुद्रा प्राप्त की जा सकती है l फेरा के नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि, हवाला कारोबार की राशि की 5 गुना तक और 7 वर्ष की सजा भी हो सकती है l

हवाला की शुरुआत कहाँ से हुई

हवाला की शुरुआत कब हुई यह स्पष्ट नहीं है लेकिन कुछ लोग इसे 8वीं शताब्दी से सिल्क रूट के तहत भारत से जोड़ते हैं। सिल्क रूट को प्राचीन चीनी सभ्यता के व्यापारिक मार्ग के रूप में जाना जाता है। दो सौ साल ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी के बीच हन राजवंश के शासन काल में रेशम का व्यापार बढ़ा। पहले रेशम के कारवाँ चीनी साम्राज्य के उत्तरी छोर से पश्चिम की ओर जाते थे। लेकिन फिर मध्य एशिया के क़बीलों से संपर्क हुआ और धीरे-धीरे यह मार्ग चीन, मध्य एशिया, उत्तर भारत, आज के ईरान, इराक़ और सीरिया से होता हुआ रोम तक पहुंच गया। ग़ौरतलब है कि इस मार्ग पर केवल रेशम का व्यापार नहीं होता था बल्कि इससे जुड़े सभी लोग अपने-अपने उत्पादों का व्यापार करते थे। लेकिन सिल्क रूट पर अक्सर चोरी और लूट होती थी इसलिए भारतीय, अरब और मुस्लिम व्यापारियों ने अपने मुनाफे की रक्षा के लिए अलग अलग तरीके अपनाए। व्यापारी एक पासवर्ड का इस्तेमाल करते थे जो कि कोई वस्तु, शब्द या कोई इशारा होता था और ठीक उसी तरह की पूरक वस्तु, शब्द या पासवर्ड उसे प्राप्त करने वाले को बताना होता था। इस तरह, वो सुनिश्चित किया करते थे कि पैसे या सामानों की लेन देन सही हाथों तक पहुंच जाए। यह व्यवस्था कितनी पुरानी थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत में पहला बैंक ‘बैंक ऑफ़ हिंदुस्तान’ था जिसकी स्थापना 18वीं शताब्दी में कोलकाता में हुई थी। आज तकनीक के मामले में दुनिया जिस तेज़ी से आगे बढ़ रही है उसी आसानी से हवाला के काम को करना भी आसान हुआ है। आज इंस्टैंट मैसेजिंग एप्लिकेशन के ज़रिए पासवर्ड की जगह कोड भेजे जाते हैं। लिहाजा बिचौलिए भी अपनी व्यावसायिक गतिविधियों के समानांतर इसे भी बेहद आसानी से अंजाम दे सकते हैं।हवाला कारोबार करने वाला व्यक्ति काले धन को वैध बनाना (money laundering), विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियमन अधिनियम (फेरा), और अन्य कर कानूनों के उल्लंघन का दोषी माना जाता है l इसलिए हवाला को ‘अवैध रूप से कमाई गई’ रकम को ‘अवैध रूप से प्राप्त करना’ कहा जा सकता है l फेरा कानून के अनुसार सिर्फ अधिकृत व्यापारी के माध्यम से ही देश में या देश के बाहर मुद्रा प्राप्त की जा सकती है l फेरा के नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि, हवाला कारोबार की राशि की 5 गुना तक और 7 वर्ष की सजा भी हो सकती है।

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