समय से पहले संजय दत्त की रिहाई पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से सफाई मांगी है. कोर्ट ने फडणवीस सरकार से इस मामले पर हलफनामा दायर करने को कहा है. अदालत ने राज्य सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है.
इससे पहले 12 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से संजय दत्त को जेल से जल्द रिहा करने को लेकर सवाल जवाब किया था. कोर्ट ने पूछा था कि सरकार अपने फैसले की सफाई दे कि आखिर संजय दत्त को आठ महीने पहले जेल से कैसे रिहा कर दिया गया, जबकि वे ज्यादातर वक्त पैरोल पर बाहर ही थे.
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने यह आदेश प्रदीप भालेकर नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए हैं. प्रदीप ने संजय दत्त की रिहाई को चुनौती देने के साथ ही उनको जेल में रहते हुए जो पैरोल मिलते रहे थे, उन पर भी सवाल उठाए हैं. इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने कहा है कि ‘जेल अधिकारियों ने यह आकलन कर कैसे लिया कि संजय दत्त का व्यवहार अच्छा था? उन्हें यह आकलन करने का समय कब मिला जबकि आधे समय तो संजय दत्त पैरोल पर जेल से बाहर रहते थे.’ न्यायालय ने यह भी सवाल किया है कि क्या संजय दत्त की रिहाई के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई, आम कैदियों के लिए भी वही अपनाई जाती है?
संजय दत्त को 1993 बम धमाकों के मामले में पांच साल की जेल हुई थी. उन्हें AK-56 राइफल रखने के लिए आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाया गया था. उन्होंने अपनी सजा महाराष्ट्र के यरवाडा सेंट्रल जेल में काटी. जहां से उन्हें फरवरी 2016 में अच्छे व्यवहार के कारण जल्द रिहा कर दिया गया था.
कोर्ट में क्या हुआ था?
जस्टिस आरएम सावंत और साधना जाधव की बेंच ने सरकार से इस संबंध में एक हलफानामे की मांग की. इसमें पूछा गया कि संजय दत्त को रिहा करने से पहले कौन सी प्रक्रिया और पैरामीटर फॉलो किया गया, इसकी विस्तृत जानकारी दी जाए.
संजय दत्त को कब-कब मिला पैरोल?
अक्टूबर 2013 को संजय दत्त को पौरोल मिला था. उसे 14 दिन और बढ़ा दिया गया था. दिसंबर 2013 में उन्हें 30 दिन का पौरोल दिया गया था, जिसे दो बार बढ़ाया गया. एक्टर की बहन इसके लिए गारंटर थीं. जब से उनकी सजा शुरू हुई थी तब से उन्होंने जेल से बाहर 146 दिन बिताए थे?