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स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़, धड़ल्ले से चल रहा सफेद दूध का काला धंधा

अमृतसर : मिलावटखोर आर्थिक लाभ के लिए सफेद दूध का काला कारोबार कर रहे हैं। जिससे लोगों के स्वास्थ्य के साथ गंभीर खिलवाड़ हो रहा है, जोकि चिंता का विषय है। आपको बता दें कि दूध दुनिया के सभी देशों में पाया जाने वाला एक पौष्टिक पदार्थ है और यह आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। दूध में मानव शरीर के लिए आवश्यक सभी तत्व मौजूद होते हैं, इसलिए इसे संपूर्ण भोजन भी कहा जाता है। आजकल कई मिलावटखोरों ने अपने आर्थिक लाभ के लिए दूध में मिलावट करके इसकी शुद्धता पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। दूध में मिलावट आजकल आम बात हो गई है। दूध पीने के फायदों को बढ़ावा देने और दुनिया भर में इसकी खपत बढ़ाने के लिए 26 नवंबर को विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत की गई थी। खाद्य एवं कृषि विभाग ने पहले इस खास दिन को 1 जून को मनाना शुरू किया था लेकिन बाद में इस तारीख को बदलकर 26 नवंबर कर दिया गया। इस खास दिन को मनाने का मकसद दूध में मौजूद पोषक तत्वों को समझना और उसका उपयोग करना है।

वर्ष 2011 में प्राप्त एक रिपोर्ट के अनुसार, दूध में बड़े पैमाने पर मिलावट की जा रही है और लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। दूध में मिलावट करने वाले सिंथेटिक दूध में फैट बढ़ाने के लिए उसमें यूरिया मिलाते हैं, जिससे आंतों और पाचन तंत्र पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा है कि दूध में मिलावट से हृदय रोग, कैंसर और कभी-कभी मौत भी हो सकती है। दूध में यूरिया, कास्टिक सोडा या फॉर्मेलिन मिलाकर पीने से पेट संबंधी समस्याएं होने लगती हैं और बाद में यह गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है।

गाय के दूध में 3-4 प्रतिशत वसा होती है, जबकि भैंस के दूध में 7-8 प्रतिशत वसा होती है। भैंस का दूध गाढ़ा होता है, इसलिए इसे पचने में अधिक समय लगता है, जबकि गाय का दूध हल्का और पचाने में आसान होता है। इसलिए गाय का दूध बच्चों और बुजुर्गों के लिए अच्छा माना जाता है। बकरी का दूध कोशिका वृद्धि को बढ़ावा देता है।

सामाजिक कार्यकर्ता सविंदर कौर टंडन, रखविंदर कौर संगोत्रा, बाल कृष्ण शर्मा, विक्रम चौहान, सुनील आनंद और गौरव शर्मा ने मांग की है कि दूध में मिलावट को पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए। अगर लोग शुद्ध दूध के लिए डेयरियों और अन्य दूध कंपनियों को पैसे देते हैं तो वे मिलावटी दूध क्यों खरीदें। उनका साफ कहना है कि पंजाब सरकार को मिलावटखोरों के खिलाफ कड़ा अभियान चलाना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग अपने फायदे के लिए लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ कर रहे हैं।

त्योहारी सीजन के दौरान अमृतसर जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मिलावटखोरों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है। पंजाब खाद्य एवं औषधि आयुक्त अभिनव त्रिखा, डी.सी., ए.डी.सी. हरप्रीत सिंह के निर्देश पर असिस्टेंट फूड कमिश्नर राजिंदरपाल सिंह के नेतृत्व में टीम ने मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान के दौरान कई क्विंटल नकली दूध और खोई की मिठाइयां नष्ट कीं और कई खाद्य पदार्थों के सैंपल भी भरे। इसके अलावा उन्होंने कई डेयरियों, डेयरियों और मिठाई की दुकानों से दूध के सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए चंडीगढ़ प्रयोगशाला में भेजा। प्रदेश के अन्य जिलों को भी मिलावटखोरों पर नकेल कसने के लिए इसी तरह का अभियान चलाना चाहिए।

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