भारी बारिश ने मचाई तबाही, भूस्खलन से एक ही परिवार के तीन लोगों समेत 5 की मौत
अगरतलाः त्रिपुरा में तीन से चार स्थानों पर लगातार बारिश के कारण हुए भूस्खलन में एक ही परिवार के तीन सदस्यों सहित कम से कम सात लोगों की मौत हो गई जबकि दो ग्रामीण लापता हो गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। राजस्व विभाग के सचिव बृजेश पांडे ने बताया कि दक्षिण त्रिपुरा जिले में पांच लोगों की मौत हुई है, जबकि गोमती और खोवाई जिलों में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। उन्होंने बताया कि लापता होने के दो मामले खोवाई और गोमती जिलों से सामने आए हैं। रविवार से राज्य में भारी बारिश के कारण कई इलाकों में जलभराव हो गया है।
अधिकारी ने बताया कि मौसम विभाग की मध्यम से भारी बारिश की चेतावनी के बाद दक्षिण त्रिपुरा जिले में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है जबकि पूर्वोत्तर राज्य के शेष सात जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। उन्होंने शाम को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “पिछले 48 घंटों में राज्य में भारी बारिश हुई है, जिससे कई इलाकों में भूस्खलन हुआ है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। फिलहाल बारिश से बुरी तरह प्रभावित 5607 परिवारों ने 183 राहत शिविरों में शरण ली है। प्रभावित लोगों को राहत दी जा रही है।”
शांतिरबाजार के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) अभेदानंद बैद्य ने मीडिया को फोन पर बताया कि दक्षिण त्रिपुरा जिले के देबीपुर में सोमवार रात भीषण भूस्खलन से एक घर के ढह जाने से एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई। अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम) बिनय भूषण दास ने बताया कि सोमवार को गुमाटी जिले के कारबुक इलाके में भूस्खलन में 52 वर्षीय मौई रियांग की मौत हो गई, जबकि एक अन्य ग्रामीण लापता हो गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 19 अगस्त को खोवाई जिले के चम्पलाई इलाके में एक 14 वर्षीय लड़के के घर पर मिट्टी का ढेर गिर गया जिससे उसकी मौत हो गई। दो अन्य मौतों और एक लापता व्यक्ति का विवरण तत्काल उपलब्ध नहीं है।
मुख्यमंत्री माणिक साहा ने मंगलवार को जिला प्रशासन को सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने और प्राकृतिक आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री इस समय दिल्ली में हैं और उन्होंने प्रशासन को प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है। एसडीएम बैद्य ने कहा कि शांतिरबाजार उपखंड के कई निचले इलाके भारी बारिश के कारण जलमग्न हो गए। उन्होंने कहा कि महुरी और लावांग नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए चार राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।